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बुंदेलखंड के कारसेवकों को फैजाबाद के मीरपुर गांव में मिली थीं शरण

Hamirpur News: बुंदेलखंड के कारसेवकों को फैजाबाद के मीरपुर गांव में मिली थीं शरण

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हमीरपुर। अयोध्या में राम जन्म भूमि मंदिर के लिए 33 वर्ष पूर्व विहिप की योजना के आधार पर 20 अक्टूबर 1990 को ही पुलिस से बचते बचाते अयोध्या पहुंचे बुंदेलखंड (Bundelkhand) के झांसी, उरई, महोबा, हमीरपुर, चरखारी, कुरारा व सुमेरपुर के सैकड़ों कारसेवको को अयोध्या के निकट सोहावल रेलवे स्टेशन से 20 किलोमीटर दूर स्थित गांव मीरपुर में रुकाया गया था।

कारसेवक रिटायर्ड शिक्षक रामकृपाल प्रदीप ने बताया कि पुलिस के भय से हर घर में दो-दो कारसेवकों को रुकाया गया था। मीरपुर निवासी अर्जुन सिंह के मार्ग निर्देशन में कारसेवकों की मेहमानों की तरह आवभगत की जाती थी। 28 अक्तूबर की शाम को अयोध्या से बुलावा आने पर वहां के लोगों ने एकत्र होकर सभी कार सेवकों को तिलक लगाकर राम काज के लिए विदा किया था। कार सेवक मिथलेश द्विवेदी ने बताया कि 28 अक्टूबर की सारी रात पगडंडियों से पैदल चलकर एक गांव से दूसरे गांव को पार करते हुए अयोध्या पंहुचे थे और पंचकोसी परिक्रमा में भाग लिया था।

29 अक्तूबर को कुरारा हमीरपुर के निवासी फैजाबाद जनपद के तत्कालीन जिलाधिकारी रामशरण श्रीवास्तव ने गिरफ्तार कर सुल्तानपुर की अस्थायी जेल में भेज दिया गया। अस्थायी जेल से भाग कर वह लोग पैदल चलकर 30 अक्तूबर को अयोध्या पहुंच गए थे। कारसेवक पुरम में अशोक सिंहल,उमा भारती, विनय कटियार आदि ने उद्बोधन से कारसेवकों में नया जोश भर दिया था। देवगांव निवासी रामशरण सिंह ने बताया कि किसी अनहोनी की घटना के मद्देनजर हर कारसेवक का नाम उसकी पीठ पर लिखा गया था।

आंसू गैस के प्रभाव को रोकने के लिए चेहरे पर चूना लगा दिया गया था। पुलिस ने पहले बैरियर खोले बाद में सभी बैरियर बंद कर दिए गए तो कारसेवक उसी में फंस रह गए। इसके बाद गोलियों की आवाज सुनाई देने लगी। लाठी चार्ज हो गया। कारसेवक घायल होकर अस्पताल जाने लगे थे। तब तक तक शाम हों गई और कारसेवकों की मौत से गम का माहौल छा गया था।

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