मध्य प्रदेश के कई जिलों में हाल ही में डायरिया के प्रकोप ने एक गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर दिया है। दूषित पानी पीने के कारण कई लोग बीमार हो गए हैं, और कुछ मामलों में, यह बीमारी जानलेवा साबित हुई है। यह समस्या प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में फैल चुकी है, जिसमें सागर, भिंड, मुरैना, रीवा, टीकमगढ़, और इंदौर शामिल हैं।
सागर जिला: मेहरगाँव में त्रासदी
सागर जिले के मेहरगाँव गाँव में लगभग 250 लोग, जिनमें 35 बच्चे शामिल हैं, डायरिया के कारण बीमार हो गए। एक व्यक्ति, 40 वर्षीय ललन बंसल, की मौत हो गई। मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. ममता तिमोरी के अनुसार, पीने के पानी के सभी स्रोतों, विशेष रूप से ट्यूबवेल और हैंडपंप, को सील कर दिया गया है और पानी के बैक्टीरियल टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
भिंड जिला: निवासियों का आरोप और प्रशासन की प्रतिक्रिया
भिंड जिले के फूप क्षेत्र में निवासियों ने दावा किया कि दूषित नल के पानी के कारण तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने केवल 76 लोगों के बीमार होने की पुष्टि की है। कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है और चिकित्सा सहायता प्रदान की जा रही है। यह घटना तब हुई जब नए बिजली के खंभे लगाने के दौरान पाइपलाइन में दरार आ गई और नाले का पानी पीने के पानी में मिल गया।
मुरैना जिला: जल संकट और प्रशासनिक विफलता
मुरैना जिले के थातीपुरा गाँव में दूषित पानी पीने से दर्जनों ग्रामीण बीमार हो गए। वर्षों से इस गाँव में पीने के पानी की कमी की समस्या है। समृद्ध लोग सूखे कुओं से पानी निकालकर इसे पाइपलाइन के माध्यम से बेचते हैं। जल नल योजना के तहत कई बार बोर किए गए, लेकिन पानी नहीं मिल सका। इस योजना की विफलता ने ग्रामीणों को गंदा पानी पीने पर मजबूर कर दिया है।
इंदौर: आश्रम में कॉलरा का प्रकोप
इंदौर के एक एनजीओ द्वारा संचालित आश्रम में दूषित पानी के कारण कॉलरा फैल गया, जिससे छह बच्चों की मौत हो गई। कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि अगर आश्रम प्रबंधन ने प्रशासन को समय पर जानकारी दी होती, तो कुछ जानें बचाई जा सकती थीं। आश्रम में पानी टैंकरों के माध्यम से आपूर्ति किया जाता था, लेकिन जल शोधन की प्रक्रिया में कमी के कारण यह त्रासदी हुई।
रीवा और टीकमगढ़: नए मामले
रीवा और टीकमगढ़ जिलों में भी दूषित पानी के कारण डायरिया के नए मामले सामने आए हैं। रीवा जिले के डूडा दुवारी गाँव में 24 लोग बीमार हो गए और टीकमगढ़ जिले के मिनोरा गाँव में एक दर्जन से अधिक लोग उल्टी दस्त से पीड़ित हो गए। स्वास्थ्य अधिकारी संक्रमण के कारण की जांच कर रहे हैं और प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा सहायता प्रदान कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश में यह स्वास्थ्य संकट दूषित पानी के कारण उत्पन्न हुआ है। प्रशासन की नाकामी और जल शोधन की कमी ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। यह आवश्यक है कि सरकार और प्रशासन तत्काल कदम उठाएं और स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करें। स्वच्छ जल एक बुनियादी मानव अधिकार है, और इसे सभी नागरिकों तक पहुंचाने के लिए ठोस प्रयास किए जाने चाहिए।
मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में डायरिया के प्रकोप ने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्वच्छ पेयजल की कमी कितनी जानलेवा हो सकती है। प्रशासन को तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए और दूषित पानी के स्रोतों को साफ करके सुरक्षित पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। जागरूकता और सक्रियता ही इस संकट का समाधान है। आइए, मिलकर स्वच्छ पानी के अधिकार के लिए आवाज उठाएं। #CleanWaterForMP
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