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Bundelkhand News : किसानों का अब होगा सामाजिक और आर्थिक विकास ,बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को मिला लाखों का प्रोजेक्ट

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को डीएसटी से 61.65 लाख का प्रोजेक्ट मिला है। मसाले की खेती से होगा किसानों ( विशेष रूप से अनुसूचित जाति एवं जनजाति) का सामाजिक आर्थिक विकास होगा।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को 61.65 लाख का प्रोजेक्ट मिला है। कुलपति प्रोफेसर मुकेश पाण्डेय ने बताया कि लगातार दूसरे वर्ष बुंदेलखंड विश्वविद्यालय संस्था द्वारा शोध के लिए यह प्रोजेक्ट मिला है। विश्वविद्यालय को नैक ए प्लस ग्रेड अपग्रेडेशन होने के साथ मल्टी डिसीप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (एमईआरयु) का दर्जा मिला है। 

उन्होंने प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर वनस्पति विभाग के डॉ राजेश कुमार पाण्डेय एवं उनकी टीम को बधाई दी। प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर ने बताया कि इस शोध के अंतर्गत मसालों विशेष रूप से अजवाइन, जीरा, हल्दी और अदरक की खेती को वैज्ञानिक तरीके से करने एवं उत्पादन में वृद्धि के लक्ष्य को लेकर कार्य किया जाएगा। यह शोध का कार्यकाल 3 वर्ष रहेगा। 

उन्होंने आगे बताया कि 24 अप्रैल 2024 को आईआईटी दिल्ली में अनुसूचित जाति उपयोजना की कार्यक्रम सलाहकार समिति की बैठक के सम्मुख उन्होंने शोध प्रस्तावना प्रस्तुत की थी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के साइंस फॉर इक्विटी एंपावरमेंट एंड डेवलपमेंट डिविजन द्वारा शोध प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है। 

इसमें सहायक प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर के रूप में कृषि संस्थान के मृदा विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ अवनीश कुमार दुबे, उद्यान विभाग के सहायक आचार्य डॉ जय नारायण तिवारी, पत्रकारिता विभाग के सहायक आचार्य डॉ कौशल त्रिपाठी कार्य करेंगे। इस अवसर पर वित्त अधिकारी प्रमोद कुमार सिंह, कुलपति के निजी सचिव अनिल बोहरे, डॉ अतुल खरे, डॉ अनुपम व्यास, छात्र ऋतिक पटेल उपस्थित रहे।

प्रोजेक्ट प्रदाता: डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी न्यू दिल्ली

प्रोजेक्ट की राशि एवं कार्यकाल: ₹ 61.65 लाख एवं 3 वर्ष

लाभान्वित कृषक वर्ग: समस्त किसान विशेष रूप से अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जनजाति के कृषक

शोध हेतु चयनित फसल: अजवाइन, हल्दी, अदरक, जीरा

प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर (पीआई): डॉ राजेश कुमार पाण्डेय, समन्वयक, वनस्पति विभाग

सहायक प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर (पीआई): डॉ अवनीश कुमार दुबे,  डॉ जय नारायण तिवारी, डॉ कौशल त्रिपाठी


साभार : अमर उजाला 


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