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क्या बुंदेलखंड के इन 3 ऐतिहासिक किलों के बारे में जानते हैं आप?

                                       


उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फैला बुंदेलखंड अपने समृद्ध इतिहास और गौरवशाली परंपराओं के लिए जाना जाता है। इस धरती पर कई वीर शासकों ने राज किया है, जिनकी कहानियां आज भी प्रचलित हैं। बुंदेल वंश के नाम पर इस क्षेत्र का नाम बुंदेलखंड पड़ा, क्योंकि बुंदेला राजपूतों ने इसे चंदेल वंश से जीत लिया था।

                               

बुंदेलखंड का ऐतिहासिक महत्व

बुंदेलखंड की धरती का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बाजीराव-मस्तानी की कहानी से जुड़ा है। संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ के माध्यम से इस प्रेम कहानी को लोग जानते हैं, हालाँकि कम ही लोग जानते हैं कि बाजीराव और मस्तानी के बेटे शमशेर बहादुर को बांदा की जागीर राजा छत्रसाल ने उपहार में दी थी। बाजीराव ने छत्रसाल को मुगलों से जीतने में सहायता की थी, जिसके बदले में राजा ने यह जागीर दी थी। शमशेर के बाद बांदा का नवाब अली बहादुर बना, जिसने बुंदेलखंड के कई हिस्सों पर शासन किया।

Here is some interesting facts about History of  Bundelkhand Forts

                                          

महान योद्धाओं और कवियों की धरती

                        


बुंदेलखंड कभी अपने स्वावलंबी और समृद्ध क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध था। इस भूमि ने महान योद्धाओं को जन्म दिया, जिनमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भी शामिल हैं। यहां चंदेल और बुंदेला वंशजों ने मुगलों के खिलाफ बहादुरी से संघर्ष किया। साहित्य की बात करें तो बुंदेलखंड ने तुलसीदास जैसे महान कवि को जन्म दिया। बांदा के राजापुर में जन्मे तुलसीदास के अलावा ऋषि अगस्त्य, वाल्मीकि और व्यास मुनि ने भी यहां वर्षों तक तपस्या की थी।

                                 

 बुंदेलखंड के प्रसिद्ध किले


बुंदेलखंड में कई ऐतिहासिक किले हैं, जिनमें से कुछ बेहद खास हैं।


कालिंजर किला:

                   


बांदा जिले में स्थित कालिंजर किला सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रहा है। यह किला पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और इसे चंदेल वंश ने बनवाया था। इस किले के अंदर कई भवन और मंदिर हैं, जो चंदेल वास्तुकला की भव्यता को दर्शाते हैं।

जानिए क्या है कालिंजर के किले का रहस्य ,इस वीडियो में


भूरागढ़ का किला:

                            


राजा गुमान सिंह द्वारा 17वीं शताब्दी में केन नदी के किनारे बने इस किले के खंडहर आज भी देखे जा सकते हैं। माना जाता है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस किले ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहां हर साल ‘नटबली का मेला’ आयोजित होता है, जो काफी लोकप्रिय है। यहाँ सूर्योदय का नजारा भी बेहद खूबसूरत होता है। 


ओरछा किला:

                           


सोलहवीं शताब्दी में राजा रुद्र प्रताप सिंह ने इस किले का निर्माण शुरू किया था। मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में स्थित यह किला बेतवा और जामनी नदी के संगम पर बने एक द्वीप पर स्थित है। किले के भीतर राज महल, राम मंदिर, जहांगीर महल और सावन भादों महल जैसे भवन मौजूद हैं।

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