Lalitpur News - ललितपुर में चिट-फंड कम्पनी बनाकर लोगों के पैसे दोगुने करने के नाम पर हजारों करोड़ रूपए जमा कराने के बाद वापस नहीं करने के मामले में पुलिस ने राहुल तिवारी को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया।
अपर पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार ने बताया कि कोतवाली पुलिस, स्वाट टीम, साइबर टीम बुधवार को अपराधियों की तलाश में घूम रही थी। तभी पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर कोतवाली सदर क्षेत्र के मोहल्ला रामनगर लेखपाल कॉलोनी निवासी हाल निवासी बी-55 तिरूपति अभनव होम्स अयोध्या बाईपास थाना छोला भोपाल मध्य प्रदेश को गिरफ्तार किया है। कोतवाली में शिकायतकर्ता द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया गया था कि जगत सिंह, आलोक जैन , राहुल जैन आदि द्वारा एक संगठित गिरोह बनाकर आर्थिक लाभ के लिए एलयूसीसी नाम की एक चिटफंड कम्पनी के माध्यम से धोखाधड़ी कर षडयंत्र पूर्वक कूटरचित दस्तावेज तैयार करते हुए हजारों करोड़ रूपए हड़प लिए हैं।
पुलिस ने दर्ज की है 5 एफआईआर
इस मामले में पुलिस ने सभी पर अलग-अलग 5 एफआईआर दर्ज की थी। जिनमें पुलिस ने नीरज जैन, जगत सिंह, आलोक जैन को पूर्व में गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले की जांच एसआईटी टीम द्वारा की गई थी। टीम ने राहुल तिवारी को भी गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पकड़े गये आरोपी राहुल तिवारी ने बताया कि उसे उसके भाई रवि तिवारी ने समीर अग्रवाल से मिलवाया था। रवि तिवारी समीर अग्रवाल से बहुत नजदीकी से जुड़ा था और वह भाई के साथ कई बार विभिन्न सेमिनार में समीर अग्रवाल से मिला था और वह अपने भाई रवि तिवारी का सहयोगी रहा है।
झूठा आश्वासन देकर कराया निवेश
उनके साथ एडवान्टेज नामक कम्पनी, हॉलीडे पैकेज नेटवर्किंग, पैराबैकिंग, आप्सन वन की कम्पनियों में जुड़ा रहा और लोगों का पैसा लगवाया। जिसमें उसे अच्छा कमीशन मिलने लगा। जिससे उसका लालच बढ़ता गया। 2016 में समीर अग्रवाल और उसके भाई रवि तिवारी व कुछ अन्य सहयोगियों ने मिलकर एलयूसीसी नाम से एक चिटफंड नाम की फर्जी कम्पनी बनाई और कई राज्यों व उत्तर प्रदेश के कई जिलों में इसके ऑफिस बनवाए। जिसमें बुकलेट, पंपलेट के माध्यम से कूट रचित दस्तावेज तैयार करके लालच भरी स्कीमें बताकर अधिक से अधिक लोगों को जोड़ना शुरू किया। जिसमें आमजनमानस को इस सोसाइटी में रूपया निवेश कराने पर मोटा रूपया मिलने का झूठा आश्वासन देकर करोड़ों रुपयों का निवेश कराना आरंभ कर दिया।
कई जगहों पर जमीन और प्रॉपर्टी खरीदी
राहुल तिवारी ने बताया कि वह ऐसे लोगों को टारगेट करते थे जिन्हें डूब क्षेत्र से मुआवजा का रूपया मिला हो। इसमें वह लोगों को डायरेक्ट कमीशन व इन डायरेक्ट कमीशन मिलता था। वह लोग कम्पनी का नाम व अपने कार्यालय का नाम व स्थान बदलते रहते हैं। जिससे कि पकड़े न जाए। जब कोई शिकायत करता है तो वह उसे रूपया देकर वह आसानी से बच जाते है। राहुल तिवारी ने बताया कि भाई के साथ मिलकर लोगों का करोड़ों रूपया जो मिलता था, उन रुपयों में से वह लोग कुछ रूपया कम्पनी में जमा करते थे और बाकी का रूपया नई ज्वाइंट कम्पनी बनाकर अपने नाम और कई अन्य लोगों के नाम पर अन्य जगहों निवेश करते थे। जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता था। उसने अपने भाई रवि तिवारी व गैंग के अन्य लोगों के साथ मिलकर नई कम्पनियां बनाकर अलग अलग जगहों पर जमीन और प्रॉपर्टी खरीदी है।
पुलिस की टीम में ये शामिल रहे
आरोपी राहुल तिवारी को पकड़ने वाली टीम में प्रभारी निरीक्षक रमेशचन्द्र मिश्रा, निरीक्षक नरेन्द्र सिंह, निरीक्षक जर्नादन सिंह, निरीक्षक अरविंद सिंह, निरीक्षक सावेश खांन, साइबर क्राइम थाना के अलावा स्वाट टीम शामिल रही।
साभार : Dainik Bhaskar
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