भारत विविधताओं का देश है, यहां क्षेत्रिय बोलियों से लगाकर खान-पान सब थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बदल जाता है. हर क्षेत्र का अपने रहन-सहन खाने-पीने का तरीका अलग होता है. देश का दिल मध्यप्रदेश भी अपने आप में बड़ा खास है क्योंकि यहां पर भी अलग-अलग अंचल हैं. सबकी अपनी खासियत है. जब बात खान पान पर आती है तो इन अंचलों में इलाकों की खास डिसेज हैं.
भोपाल में सजे लोकरंग मेले में एक साथ बुंदेलखंड, मालवा, चंबल जैसे अंचलों की स्पेशल डिशेज देखने को मिली. लोकरंग भी करीब 15 से ज्यादा फूड स्टॉल लगाए है, जहां मध्यप्रदेश के कई इलाकों की खास डिशेज देखने को मिली.
विदिशा की गेहूं की खीर का स्टॉल लगाया गया. इस खीर को बनाने में काफी समय लगता है क्योंकि इसे गेहं का छिलका उतारकर बनाया जाता है. जितनी मेहनत इसे बनाने में लगती है उतना ही इसका स्वाद भी है.
मालवा की कई डिशेज जैसे गराड़ू, साबूदाना बड़ा, दाल बाटी. बुंदेलखंडी व्यंजनों तिल का कूचा, महुआ का मुरक और अन्य राज्यों के व्यंजन भी लोकरंग 2025 में देखने को मिले.
उत्सव में शामिल सभी व्यंजनों ने लोगों के स्वाद को संतुष्ट किया ही साथ ही लोगों को प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का काम भी किया. यहां पहुंचे लोगों ने अलग-अलग इलाकों के व्यंजनों का लुत्फ उठाया.
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