Kundeshwar Dham : आज सजेगा भगवान भोलेनाथ का मंडप, कल होगा अलौकिक श्रृंगार

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में स्थित कुंडेश्वर धाम में महाशिवरात्रि से पूर्व विवाह की तैयारियां जोरों पर हैं। बुंदेलखंड का सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल और 13वां ज्योतिर्लिंग कहे जाने वाले कुंडेश्वर धाम में  यह धार्मिक आयोजन हर वर्ष श्रद्धालुओं के लिए विशेष आस्था और श्रद्धा का केंद्र रहता है।

इस बार भी हजारों श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के विवाह के साक्षी बनने के लिए दूर-दूर से कुंडेश्वर धाम पहुंच रहे हैं। यहां आने वाले भक्त भगवान शिव के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि कुंडेश्वर धाम में भगवान शिव स्वयंभू रूप में प्रकट हुए थे, इसलिए यहां की पूजा और अनुष्ठान का विशेष महत्व होता है।

आज हल्दी-तेल एवं मंडप कार्यक्रम होगा भव्य आयोजन

भगवान भोलेनाथ के विवाह से पहले आज हल्दी, तेल और मंडप का विशेष आयोजन होगा। मंदिर के पुजारी जमुना प्रसाद तिवारी ने बताया कि विवाह संस्कार की सभी रस्में वैदिक मंत्रोच्चारण और धार्मिक विधि-विधान के अनुसार संपन्न कराई जाएंगी। आज (25 फरवरी) भगवान शिव का तेल और हल्दी चढ़ाने की रस्म अदायगी होगी, जिसमें श्रद्धालु भी सम्मिलित होकर भगवान के विवाह की तैयारियों में भाग लेंगे। इस दौरान मंदिर परिसर में विशेष सजावट की जाएगी, और भक्तजन भजन-कीर्तन के माध्यम से माहौल को भक्तिमय बनाएंगे।

26 फरवरी को दूल्हे के रूप में भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार

मंदिर के पुजारी ने बताया कि कल (26 फरवरी) शाम 4:30 बजे भगवान भोलेनाथ का श्रृंगार दूल्हे के रूप में किया जाएगा। भक्तों के बीच इस अनूठे आयोजन को लेकर विशेष उत्साह रहता है। भगवान शिव को विवाह के लिए विशेष पोशाक पहनाई जाएगी, साथ ही आभूषणों और फूलों से उनका अलौकिक श्रृंगार किया जाएगा।

इसके बाद कुंडेश्वर धाम से शिव बारात निकाली जाएगी, जो नगर के मुख्य मार्गों से होकर गुजरेगी। यह बारात श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होती है, जिसमें बैंड-बाजे, घोड़े, रथ, और शिव भक्तों की झांकी शामिल होगी। मंदिर प्रांगण में बारात के स्वागत के लिए विशेष तैयारियां की गई हैं, जहां वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भगवान शिव का टीका और विवाह संस्कार संपन्न होगा।

रात्रि जागरण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन

महाशिवरात्रि की रात जागरण का विशेष महत्व होता है। इस दिन रातभर भजन-कीर्तन, शिव पुराण कथा, और धार्मिक आयोजन किए जाएंगे। रात्रि के चारों पहर में चार विशेष आरतियां होंगी, जिनमें भाग लेने का सौभाग्य श्रद्धालुओं को मिलेगा।

कुंडेश्वर धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. नंदकिशोर दीक्षित ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के सहयोग से 26 फरवरी की शाम 7:00 बजे विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान ‘महादेव लीला’, ‘सती लीला’ नृत्य नाटिका, भजन संध्या और लोक गायन होगा। इस अवसर पर प्रख्यात भजन गायिका वैशाली रैकवार और अन्य कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। भक्तों के लिए यह एक आध्यात्मिक अनुभव होगा, जिसमें वे भक्ति संगीत और लोक संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों का आनंद ले सकेंगे।

द्वापर युग से जुड़ी है कुंडेश्वर धाम की ऐतिहासिक कथा

इतिहासकार पंडित गुण सागर सत्यार्थी ने अपनी पुस्तक सिद्ध तीर्थ कुंडेश्वर धाम में उल्लेख किया है कि यह मंदिर द्वापर युग से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि बानपुर रियासत के राजा बाणासुर की पुत्री राजकुमारी उषा भगवान भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं। वह प्रतिदिन रात्रि 12 बजे गुप्त रूप से कुंडेश्वर धाम स्थित उषा कुंड में स्नान करने जाती थीं। एक दिन राजा को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने अपने गुप्तचरों से इसका पता लगाने को कहा।

गुप्तचरों ने बताया कि राजकुमारी उषा स्नान के बाद एक घंटे के लिए जल के भीतर चली जाती हैं और फिर बाहर आती हैं। जब राजा ने इस रहस्य को जानने की कोशिश की, तो राजकुमारी ने बताया कि वह भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने जाती हैं। भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। तब उषा ने प्रार्थना की कि जिस तरह उन्हें भगवान शिव के दर्शन होते हैं, उसी तरह सभी श्रद्धालुओं को भी भोलेनाथ के दर्शन हों। इसके बाद भगवान शिव उषा कुंड के पास प्रकट हुए और तब से यहां उनकी पूजा-अर्चना की जाने लगी।

हर वर्ष बढ़ता है कुंडेश्वर धाम का शिवलिंग

मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. नंदकिशोर दीक्षित का कहना है कि कुंडेश्वर धाम का शिवलिंग हर साल बढ़ता है। वर्ष 1930 में जब टीकमगढ़ रियासत के शासक राजा वीर सिंह देव ने इसकी खुदाई करवाई, तो 31 फीट गहराई तक जलहरी के अवशेष मिले, जो हर 5 फीट की दूरी पर टूटी हुई अवस्था में मिलीं। इससे यह प्रमाणित होता है कि शिवलिंग निरंतर बढ़ रहा है। इस घटना के बाद राजा वीर सिंह को भगवान शिव ने स्वप्न में आदेश दिया कि खुदाई को रोक दिया जाए और मंदिर का निर्माण कराया जाए। इसके बाद 1930 में मंदिर का निर्माण हुआ, जो 2001 तक उसी स्वरूप में रहा। फिर वर्ष 2001 में शिवलिंग के ऊपर एक नया भव्य मंदिर बनाया गया, जिसमें अब लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं।

श्रद्धालु ले सकते हैं पुण्य लाभ

भगवान शिव के विवाह उत्सव को देखने के लिए लाखों श्रद्धालु कुंडेश्वर धाम पहुंचते हैं। यह पर्व भक्तों के लिए आस्था और पुण्य प्राप्ति का अवसर होता है। महाशिवरात्रि के दिन जल, दूध, बेलपत्र, पुष्प और अन्य पूजन सामग्री अर्पित कर श्रद्धालु भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करते हैं। इस भव्य आयोजन में भाग लेने के लिए श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे समय पर मंदिर पहुंचें और इस ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक कार्यक्रम का हिस्सा बनें। कुंडेश्वर धाम में होने वाले इस विवाह समारोह में सम्मिलित होकर श्रद्धालु स्वयं को धन्य मानते हैं और भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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