चित्रकूट: फाल्गुन अमावस्या पर शुक्रवार को मंदाकिनी में तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। भगवान कामदनाथ के दर्शन कर परिक्रमा की। इस बार महाकुंभ से लौटने वाले श्रद्धालुओं ने भी यहां के तीर्थस्थानों के दर्शन किए।
शुक्रवार को तड़के ही मंदाकिनी नदी में स्नान का सिलसिला शुरू हो गया, जो शाम तक चलता रहा। श्रद्शालुओं ने जानकीकुंड, गुप्त गोदावरी, हनुमान धारा, भरतकूप आदि तीर्थ स्थानों के दर्शन किए। महाकुंभ समाप्त होने पर लौटे श्रद्धालु धर्मनगरी में रुके हैं। इससे यहां के तीर्थ स्थानों पर अच्छी खासी भीड़ रही। चार पहिया वाहनों को मेला क्षेत्र में नहीं जाने दिया गया। कई स्थानों में बैरिकेडिंग लगाकर श्रद्धालुओं को रोका गया, जिससे एक स्थान पर भीड़ न एकत्र हो।
मेले में आए राकेश गर्ग, सुनीता गर्ग ने बताया कि दिल्ली से आए है। दो दिन से चित्रकूट में ही रुके हैं। गुजरात के अहमदाबाद के रोहित पटेल, सुनील पटेल ने बताया कि वह साथियों के साथ महाकुंभ गए थे। समापन होने पर धर्मनगरी के तीर्थ स्थानों के दर्शन किए।
दान करने से परिवार का कल्याण हो जाता
भरतमंदिर के महंत दिव्यजीवन दास ने बताया कि फाल्गुन माह की अमावस्या पर भगवान शिव की पूजा माता पार्वती के साथ करने का महत्व है। मंदाकिनी नदी के तट पर पंडितों को दान करने से परिवार का कल्याण होता है।
जगह-जगह बांटा प्रसाद
अमावस्या पर जगह-जगह श्रद्धालुओं को प्रसाद बांटने के लिए शिविर लगे। पुलिस विभाग की ओर से रामघाट व जानकीकुंड अस्पताल की टीम ने जानकीकुंड के पास प्रसाद बांटा। परिक्रमा मार्ग के बरहा हनुमान मंदिर के पास आचार्य विपिन विराट महराज की अगुवाई में प्रसाद वितरण किया गया। आचार्य ने बताया कि महाकुंभ में 29 जनवरी से प्रसाद वितरण चल रहा है। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे स्थल से बरहा हनुमान मंदिर के पास 22 दिन में लगभग 80 लाख लोगों को प्रसाद बांटा गया।
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