यमुना नदी में जालौन के कालपी में पचनद से लगभग 248 किमी जल परिवहन मार्ग से कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र को सीधे प्रयागराज में गंगा-यमुना व सरस्वती नदियों के संगम से जोड़ने की तैयारी है। परियोजना को कानपुर रीजन इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट अथारिटी (क्रीडा) में शामिल करने के लिए शासन को पत्र भेजा गया है।
भविष्य में दिल्ली से बंगाल तक विस्तार होने से सड़क मार्ग पर वाहन घटेंगे, जिससे प्रदूषण व हादसे कम होंगे। पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेंगी। महाकुंभ के दौरान सड़क-रेलमार्ग में वाहनों से जाम समेत दूसरी समस्याओं के मद्देनजर धूल फांक रहा ये प्रस्ताव फिर बाहर निकला है।
बुंदेलखंड के जालौन के कालपी से कानपुर देहात के भोगनीपुर, हमीरपुर व कानपुर की सीमा पर घाटमपुर, फतेहपुर, चित्रकूट व कौशांबी होकर प्रयागराज तक जलमार्ग से माल परिवहन, औद्योगिक नगरी कानपुर को बड़े विकास क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए 28 मार्च, 2024 को तत्कालीन मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को प्रस्ताव भेजा गया था। तब उत्तर प्रदेश जल परिवहन प्राधिकरण गठन की प्रक्रिया में था।
उच्च स्तरीय विकास समिति के समन्वयक नीरज श्रीवास्तव ने अब प्राधिकरण का एक्ट व नियमावली बनने पर पूर्व में तलाशी गईं संभावनाओं के आधार पर क्रीडा से जोड़कर प्रस्ताव परीक्षण व जल परिवहन का विकास करने का पत्र शासन को भेजा है। मंडलायुक्त के. विजयेन्द्र पांडियन ने क्रीडा को ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत लिया है। इससे काम तेज होगा।
कानपुर मंडल अंतर्गत कानपुर देहात के भोगनीपुर व झांसी के जालौन के कालपी को इसका केंद्र बनाया जाएगा। कालपी इनलैंड वाटर वेज (जलमार्ग परिवहन पत्तन) की स्थापना होगी। भोगनीपुर व कालपी 10 किलोमीटर दूर हैं और दोनों ही यमुना तट पर हैं। भोगनीपुर उत्तर भारत का सबसे सड़क मार्ग जंक्शन है, जो तमाम राज्यों को जोड़ता है।
इसलिए योजना होगी कारगर
जालौन के कालपी में कुछ किमी दूर पांच नदियों यमुना, चंबल, पहुज, क्वारी व सिंध के संगम पचनद में अथाह जलराशि है। यमुना में आगे हमीरपुर में बेतवा, बांदा में केन, चित्रकूट में मंदाकिनी नदी मिलती है। इससे साल भर जलप्रवाह अच्छा रहता है। प्रयागराज से बिहार होकर बंगाल तक गंगा नदी के रास्ते जल का आयतन बहुत है। इसलिए जलमार्ग परिवहन के लिए ये अति उपयोगी है।
ये होगा फायदा
भोगनीपुर में जलमार्ग परिवहन पत्तन बनने से जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात से उत्तर प्रदेश व पूर्वांचल, बिहार व बंगाल की ओर सड़क मार्ग से परिवहन वाला यातायात यहीं जलमार्ग से सुगम हो सकेगा। इससे सड़क मार्ग पर भारी वाहनों का यातायात दबाव घटेगा, ईंधन की बचत होगी। धुआं-प्रदूषण घटेगा, दुर्घटनाएं रुकेंगी। झांसी, चित्रकूट व कानपुर में डिफेंस कारिडोर, औद्योगिक गलियारों को परिवहन में लाभ मिलेगा।
क्या है क्रीडा
क्रीडा में कानपुर नगर, कानपुर देहात, औरैया व कन्नौज के साथ जालौन, हमीरपुर व बांदा की एक-एक तहसील, फतेहपुर की सदर व बिंदकी तहसील को शामिल करते हुए 20 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विकास कार्य होने हैं।
खास बात
808 मील बरसात में व अन्य ऋतुओं में सुंदरवन होकर 985 मील जलमार्ग था कभी प्रयागराज से कोलकाता तक ईस्ट इंडिया कंपनी के समय में, इतिहास के जानकार ऐसा बताते हैं। स्टीमर मेल से गर्मी व जाड़े में कोलकाता से प्रयागराज आने में 25 दिन लगते थे, लौटने में 15 दिन लगता था। बारिश में कोलकाता नौ दिन में पहुंच जाते थे।
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