Banda: टपकती छतों और दरकती दीवारों में पढ़ रहा देश का भविष्य, जर्जर स्कूल की जमीनी हकीकत

 बांदा: जर्जर विद्यालयों में पढ़ रहा ‘देश का भविष्य’, जिम्मेदार बेपरवाह
रिपोर्ट – उमेश यादव | Bundelkhand24x7

बांदा (उत्तर प्रदेश) – जिले के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है।
कई स्कूल भवन इस कदर जर्जर हो चुके हैं कि बच्चों की पढ़ाई से पहले उनकी सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता बन गई है


परसहर कंपोजिट विद्यालय की भयावह तस्वीर
सबसे चिंताजनक स्थिति नरैनी थाना क्षेत्र के परसहर कंपोजिट विद्यालय की सामने आई है।
यहां कक्षा 1 से 5 तक के छात्र टपकती छतों और दरकी हुई दीवारों के बीच पढ़ने को मजबूर हैं।
बरसात के मौसम में छत से लगातार पानी टपकता है और हर पल यह डर बना रहता है कि कहीं
इमारत का कोई हिस्सा गिर न जाए।

एक कमरे में दो-दो कक्षाएं, शिक्षक पर बढ़ता दबावस्थिति इतनी गंभीर है कि छोटे बच्चों को कक्षा 6 से 8 के छात्रों के साथ एक ही कमरे में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है।इससे न केवल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि शिक्षकों पर भी अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है।


प्रशासन को कई बार दी सूचना, लेकिन कार्रवाई शून्य,विद्यालय के प्रधानाचार्य और ग्राम प्रधान ने कई बार शासन और शिक्षा विभाग को जर्जर भवन की मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए अवगत कराया,लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।


अभिभावकों की चिंता बढ़ी, बच्चों की पढ़ाई बनी जोखिम,स्थानीय अभिभावक भी इस स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं।उनका कहना है कि यदि जल्दी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यहां बड़ा हादसा हो सकता है।माता-पिता अपने बच्चों को डरते-डरते स्कूल भेज रहे हैं, लेकिन शिक्षा रुक भी नहीं सकती।


समाधान क्या हो सकता है?विद्यालय भवनों की तत्काल मरम्मत या पुनर्निर्माण कराया जाए।शिक्षा विभाग द्वारा स्थिति का तत्काल निरीक्षण कर रिपोर्ट शासन को दी जाए।क्षेत्रीय अधिकारी, ग्राम प्रधान और स्कूल प्रशासन मिलकर स्थायी समाधान तलाशें।


निष्कर्ष:यदि प्राथमिक शिक्षा की नींव इतनी कमजोर होगी, तो देश का भविष्य भी कमजोर ही होगा।अब ज़रूरत है जागरूकता की नहीं, जवाबदेही की। शासन को अब मौन नहीं, एक्शन में आना होगा।

Bundelkhand 24x7 की टीम कर रही है सच्चाई उजागर

Bundelkhand 24x7 की टीम ने एक ज़िम्मेदार पहल के तहत सरकारी विद्यालयों का दौरा करना शुरू किया है।

हमारी टीम इन ज़रूरी पहलुओं पर काम कर रही है:
स्कूल भवनों की स्थिति और सुरक्षा
मिड-डे मील की गुणवत्ता
शिक्षकों की उपस्थिति और संख्या
बच्चों को मिल रही यूनिफॉर्म, बैग, जूते जैसी सुविधाएं
बच्चों और अभिभावकों के अनुभव और सवाल


हमारा उद्देश्य किसी को बदनाम करना नहीं, बल्कि सच्चाई को सामने लाकर सिस्टम को सुधार की दिशा में प्रेरित करना है।

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