मौन व्रत, दीपदान और दिवाली का अद्वितीय जश्न


बुंदेलखंड में दिवाली अन्य हिस्सों से कुछ अलग मनाई जाती है। जहाँ बाकी भारत अमावस्या को दिवाली मनाता है, वहीं यहाँ उत्सव अगले दिन गोवर्धन पूजा पर चरम पर होता है और इसे "दीवारी" उत्सव के रूप में जाना जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण के भक्त मोनिया दिनभर मौन व्रत रखते हैं और शाम को मोर पंख लेकर मंदिरों की यात्रा करते हैं, जिसे मौन चरण कहा जाता है। चित्रकूट में श्रद्धालु दीपदान करते हुए कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करते हैं। सानोधा जैसे गाँवों में दिवाली के अवसर पर कारीगरों और ग्रामीणों के बीच आदान-प्रदान की परंपरा निभाई जाती है, जो सामुदायिक बंधन और सम्मान को मजबूत करती है। इसके अलावा, हर घर में लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है और दीपों से घरों को सजाया जाता है, जिससे बुंदेलखंड की दिवाली आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से अद्वितीय बन जाती है।


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