इलेक्ट्रिक बसें अटकीं, यात्रियों की मुश्किलें बढ़ीं! झांसी–ललितपुर मार्ग पर अभी भी इंतज़ार

झांसी–ललितपुर मार्ग पर इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू होने की उम्मीद लंबे समय से जताई जा रही थी। इस रूट पर यात्रियों को बेहतर और आरामदायक सफर देने के लिए परिवहन विभाग ने पूरी तैयारी भी कर ली थी। प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल गई, लेकिन मंजूरी के बाद भी बसें सड़क पर उतर नहीं सकीं। महीनों बीत जाने के बावजूद स्थिति जस की तस है। इससे यात्रियों में निराशा है, क्योंकि वे अब भी पुरानी व्यवस्था पर ही निर्भर हैं।

बसें कम, परेशानी ज्यादा

इस मार्ग की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि रास्ते का एक हिस्सा दूसरे राज्य से होकर गुजरता है। इस वजह से परिवहन विभाग को जरूरी अनुमति नहीं मिल पा रही है। अनुमति न मिलने के कारण यहां सीमित बसें ही चल रही हैं। सुबह से लेकर देर शाम तक यात्री बसों के इंतजार में खड़े मिलते हैं, लेकिन रूट पर वाहनों की कमी होने से भीड़ बढ़ जाती है और असुविधा भी। कई यात्रियों का कहना है कि उन्हें सफर के दौरान रुक-रुक कर बसें बदलनी पड़ती हैं।

इलेक्ट्रिक बसों की तैयारी अटकी

अनुमति की समस्या दूर करने के लिए इलेक्ट्रिक बसों को विकल्प के रूप में तैयार किया गया था। इसके लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी थीं और बसों के संचालन पर ऊपर से अनुमति भी मिल गई थी। उम्मीद थी कि इससे मार्ग पर बसों की संख्या बढ़ेगी और यात्रियों को राहत मिलेगी। लेकिन तैयारी पूरी होने के बावजूद बसें अभी तक डिपो से बाहर नहीं निकल पाई हैं। रूट पर फिलहाल केवल एक ही इलेक्ट्रिक बस चल रही है, जो यात्रियों की जरूरतों के सामने काफी कम पड़ रही है।

यात्रियों को राहत कब?

रूट पर बसों की कमी से रोज़ाना हजारों यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि जल्द ही इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू हो जाएगा। हालांकि विभागीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी कई प्रक्रियाएं अधर में हैं। यह साफ है कि जब तक सभी औपचारिकताएं पूरी नहीं होंगी, तब तक यात्रियों की मुश्किलें कम होना मुश्किल है। अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि इंतजार कब खत्म होगा और इलेक्ट्रिक बसें सड़क पर दौड़ना कब शुरू करेंगी।

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