Damoh: दृष्टिहीन सुषमा ने रचा कमाल: अंतरराष्ट्रीय मैदान पर भारत को दिलाई ऐतिहासिक जीत

दमोह जिले के एक छोटे से गांव की दिव्यांग खिलाड़ी ने ऐसा इतिहास रचा, जिसने पूरे क्षेत्र को गर्व से भर दिया। सुषमा पटेल, जो बचपन से दृष्टिबाधित हैं, ने श्रीलंका के कोलंबो में आयोजित टी–20 विश्व कप में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया और नेपाल को हराकर देश को बड़ी जीत दिलाई। 

सुषमा की सफलता की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई और गांव से लेकर जिले तक जश्न का माहौल देखने को मिला। परिवार और आसपास के लोग इस उपलब्धि को किसी त्यौहार से कम नहीं मान रहे।

साधारण परिवार, असाधारण उपलब्धि

सुषमा का परिवार आर्थिक रूप से मजबूत नहीं है। घर की आजीविका खेत–खलिहान और दिन–प्रतिदिन की मेहनत से चलती है। परिवार ने हमेशा शिक्षा और सपनों को महत्व दिया और सुषमा को आगे बढ़ने का पूरा समर्थन दिया। यही सोच आज उनकी बेटी की ऐतिहासिक उपलब्धि में बदलकर सामने आई है। सुषमा की सफलता यह साबित करती है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, लक्ष्यों पर विश्वास और परिवार का साथ बहुत कुछ बदल सकता है।

दृष्टिबाधित होने के बावजूद नहीं मानी हार

सुषमा की जीवन यात्रा इतनी आसान नहीं रही। बचपन में हुई एक दुर्घटना ने उनकी दृष्टि छीन ली। लेकिन इस चुनौती ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि और मजबूत बना दिया। भाई के साथ खेलते–सीखते सुषमा को क्रिकेट से प्रेम हो गया और उन्होंने प्रशिक्षण शुरू किया। कई जगह जाकर अभ्यास किया, नए खिलाड़ियों से मिले, सीखते रहे और अपने लिए एक नया रास्ता बनाया। जब कोच ने कहा कि वह दृष्टिबाधित महिला क्रिकेट टीम में बेहतर कर सकती हैं, तो सुषमा ने इसे चुनौती के रूप में लिया और टीम में जगह बनाकर देश का प्रतिनिधित्व किया।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर दमदार प्रदर्शन

कोलंबो में हुए टी–20 विश्व कप में सुषमा ने गेंदबाजी से भारत को मजबूत स्थिति दिलाई। उनके प्रदर्शन ने टीम के आत्मविश्वास को बढ़ाया और भारत ने बड़ी जीत हासिल की। जीत के बाद सुषमा को बधाइयाँ मिलने का सिलसिला लगातार जारी है। उनकी कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है, जो कठिनाइयों से घबराकर अपने सपनों को छोड़ देते हैं। सुषमा ने साबित किया कि आत्मविश्वास, मेहनत और निरंतरता से हर चुनौती को हराया जा सकता है।

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