विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ में बुधवार देर शाम निर्माणाधीन मुख्य द्वार का बड़ा हिस्सा गिर गया, जिसके बाद जिला प्रशासन सक्रिय हो गया। गुरुवार सुबह प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायज़ा लिया और पूरी घटना की बारीकी से जानकारी ली। मंदिर परिसर में निर्माण स्थल का निरीक्षण करते हुए अधिकारियों ने इसे गंभीर मामला मानते हुए तत्काल तकनीकी जांच के आदेश दिए।
सख्त जांच टीम गठित
निर्माण कार्य में किसी भी तरह की लापरवाही सामने आने पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए प्रशासन ने चार सदस्यीय टीम गठित कर दी है, जिसमें राजस्व, निर्माण, नगर निकाय और अग्नि सुरक्षा विभाग से अधिकारी शामिल हैं। टीम का कार्य निर्माण सामग्री, डिज़ाइन, सुरक्षा मानकों और कार्य प्रक्रिया से जुड़े सभी पहलुओं की जांच करना होगा। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि गुणवत्ता में ज़रा सी भी ढिलाई पाए जाने पर दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
कैसे हुआ हादसा
निर्माण के दौरान मुख्य द्वार का बड़ा हिस्सा अचानक जमीन पर आ गिरा। इसके साथ ही इसके सहारे खड़े कई स्तंभ भी धराशायी हो गए। घटना के समय निर्माण स्थल खाली था और काम करने वाले मजदूर घर जा चुके थे, जिसकी वजह से बड़ा हादसा टल गया। सौभाग्य से किसी व्यक्ति को चोट नहीं आई।
क्यों उठ रहे सवाल
धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले इस स्थान पर निर्माण कार्य लंबे समय से चल रहा है। ऐसे में अचानक संरचना गिरने की घटना ने सुरक्षा और निर्माण गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय स्तर पर भी लोगों में यह चर्चा तेज हो गई है कि पवित्र स्थल पर चल रहे कार्य में आखिर कैसी चूक हुई कि भारी संरचना इतनी आसानी से टूटकर गिर गई। कई श्रद्धालुओं ने भी प्रशासन से जांच में पारदर्शिता रखने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
प्रशासन की ओर से आश्वासन
प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि जांच पूरी निष्पक्षता के साथ होगी और मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की दिशा तय की जाएगी।

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