जालौन |आटा–हरिशंकरी नहर पर अंग्रेजी शासनकाल में बना नरुआ पुल अब पुनर्निर्माण की प्रक्रिया की ओर बढ़ रहा है। वर्षों से खराब स्थिति में पड़े इस पुल को दुरुस्त करने के लिए लोक निर्माण विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया है। पुल का बड़ा हिस्सा टूट चुका है, जिससे आम लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
ग्रामीणों की मजबूरी: लकड़ियों से बना रहे अस्थायी रास्ता
पुल का अधिकांश भाग क्षतिग्रस्त होने के कारण केवल एक छोर ही सुरक्षित रह गया है। चारपहिया वाहनों का आवागमन लगभग बंद है और दोपहिया वाहन भी जोखिम उठाकर ही गुजर पा रहे हैं। ग्रामीणों ने टूटे हिस्सों पर लकड़ियां लगाकर अस्थायी रास्ता बना रखा है, ताकि दैनिक आवाजाही पूरी तरह प्रभावित न हो। यह स्थिति न केवल असुरक्षित है, बल्कि किसी बड़े हादसे का कारण भी बन सकती है।
कई गांवों के लिए मुख्य संपर्क मार्ग
नरुआ पुल से परासन, इमिलिया, बारा, गढ़ा, कुसमरा, अमीसा, सुनहेटा, कहटा और दशहरी सहित एक दर्जन से अधिक गांव जुड़े हुए हैं। हजारों लोगों का दैनिक आवागमन इसी पुल पर निर्भर है। पुल की खराब हालत से किसानों, छात्रों, मजदूरों और मरीजों को लगातार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
प्रस्ताव से जगी उम्मीद
लंबे समय से ग्रामीण पुल के पुनर्निर्माण की मांग कर रहे थे। अब पीडब्ल्यूडी द्वारा प्रस्ताव भेजे जाने के बाद ग्रामीणों में राहत की उम्मीद जगी है। जल्द ही स्वीकृति मिलने पर नया पुल बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जिससे वर्षों पुरानी समस्या समाप्त हो सकेगी।

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