महोबा। सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में बुधवार का दिन देशभक्ति और प्रेरणा से भरा रहा, जब परिसर में रानी लक्ष्मीबाई और भाऊराव देवरस की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। पूरे कॉलेज का वातावरण देश के महान वीरों और समाजसेवकों की स्मृतियों से ओत-प्रोत दिखाई दिया।
विद्यार्थियों में जागी इतिहास की नई चेतना
जयंती समारोह में प्रधानाचार्य ने छात्र-छात्राओं को रानी लक्ष्मीबाई के जीवन और संघर्ष की प्रेरणादायक कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि बचपन में मनु के नाम से पहचानी जाने वाली रानी लक्ष्मीबाई का जीवन साहस, समर्पण और देशभक्ति का आदर्श उदाहरण है। उनने बताया की झांसी के राजा गंगाधर राव के निधन के बाद भी रानी ने हार नहीं मानी, बल्कि पूरी ताकत और आत्मबल के साथ अंग्रेजों से लड़ते हुए अंतिम सांस तक मातृभूमि की रक्षा की। उनके अदम्य साहस ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम की नींव को मजबूत बनाया।
भाऊराव देवरस को भी दी श्रद्धांजलि
कार्यक्रम में भाऊराव देवरस को भी श्रद्धा से याद किया गया। प्राचार्य ने विद्यार्थियों को बताया कि भाऊराव का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था और वे पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के दौरान वे डॉ. हेडगेवार और भैयाजी दाणी के संपर्क में आए, जिसने उनके जीवन की दिशा और विचारधारा को आकार दिया। भाऊराव ने समाज सेवा, राष्ट्र निर्माण और संगठन के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान दिया, जिसके कारण आज भी उन्हें प्रेरणा के स्त्रोत के रूप में याद किया जाता है।
उत्साह और ऊर्जा से भरा रहा समारोह
उत्सव के दौरान विद्यार्थियों ने देशभक्ति गीत, भाषण और मंच प्रस्तुति के माध्यम से दोनों महान हस्तियों को नमन किया। विद्यालय के शिक्षकों ने भी उनके जीवन मूल्यों को अपनाने और समाज हित में आगे बढ़ने का संदेश दिया। कार्यक्रम के अंत में दोनों महान विभूतियों की तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित की गई और राष्ट्रगान के साथ समारोह संपन्न हुआ।

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