Orchha: उमा भारती ने गाये बुन्देली वैवाहिक गीत, ओरछा में श्रीराम विवाह महोत्सव में पहुंची थी पूर्व CM

ओरछा। बुंदेलखंड की पवित्र नगरी इन दिनों राम–जानकी विवाह महोत्सव के भक्ति रंग में रंगी हुई है। पूरे क्षेत्र में दिव्यता और उल्लास का ऐसा संगम देखने को मिल रहा है, जो मन को भावविभोर कर देता है। विवाह उत्सव के तहत नगर में लगातार धार्मिक आयोजन हो रहे हैं, जिनमें दूर-दूर से श्रद्धालु पहुँचकर शामिल हो रहे हैं।

विवाह गीतों से सजी ओरछा की रात

विवाह महोत्सव के दौरान देर रात एक विशेष क्षण तब आया, जब मंच पर उपस्थित एक प्रमुख अतिथि ने बुंदेली वैवाहिक गीतों की सुरीली प्रस्तुति दी। गीत शुरू होते ही पूरा माहौल लोक-संस्कृति की मधुरता से भर उठा। श्रद्धालु भी स्वर मिलाकर भक्ति और लोकगीतों की इस अनोखी संगति का हिस्सा बनते चले गए। बुंदेलखंड में विवाह गीतों की समृद्ध परंपरा है, जिसे इस प्रस्तुति ने एक बार फिर जीवंत कर दिया।

मंडप की रस्म ने बढ़ाई पवित्रता

विवाह महोत्सव में मंडप की रस्म भी विशेष आकर्षण का केंद्र रही। पारंपरिक विधि-विधान के साथ मंडप सजाया गया और श्रीराम–जानकी के पावन मिलन की तैयारी पूर्ण भव्यता के साथ पूरी की गई। रस्म पूरी होते ही श्रद्धालुओं ने जयघोष कर वातावरण को और भी पवित्र बना दिया। मंदिर परिसर रोशनी और फूलों से सजा रहा, और नगर की गलियों में ढोल, मृदंग और शंखनाद की गूँज सुनाई देती रही।

लोक-संस्कृति और भक्ति का संगम

महोत्सव में आए लोगों ने बताया कि ओरछा में होने वाला यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि बुंदेलखंड की परंपरा, संस्कृति और लोककला को जीवंत करता महोत्सव है। मंच पर चले गीत, परंपरागत पूजा-विधि, शोभायात्राओं की रौनक और भक्तों की उमंग—सबने मिलकर इस आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया।

श्रद्धालुओं के लिए भावनाओं का पर्व

शहर में हर ओर दीपों की रोशनी, भक्ति की धुन और उत्सव की चहल-पहल नजर आ रही है। श्रद्धालुओं के चेहरे पर उमंग और आँखों में आस्था की चमक साफ दिखाई देती है। सभी का मानना है कि ओरछा में मनाया जाने वाला यह विवाह महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भावनाओं और परंपराओं को जोड़ने वाला पावन पर्व है। 

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