Bundelkhand: अवैध खनन पर बड़ा एक्शन! कई जिलों में फर्जीवाड़े का मामला एनजीटी पहुंचा, सरकार समेत अधिकारियों को नोटिस

बुंदेलखंड सहित प्रदेश के कई जिलों में खनन और उसके परिवहन में हुए बड़े फर्जीवाड़े का मुद्दा अब राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण तक पहुंच गया है। यह मामला तब गंभीर हुआ जब ऑडिट रिपोर्ट में खनन से जुड़े भारी अनियमितताओं और गड़बड़ियों का खुलासा किया गया। रिपोर्ट सामने आते ही पर्यावरण से जुड़े कार्यकर्ताओं ने इसे एनजीटी में उठाया, जिसके बाद मुख्य बेंच ने इस पर गंभीर रुख अपनाया।

पर्यावरण नियमों के उल्लंघन पर उठे सवाल, नोटिस जारी

याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने प्रदेश सरकार के संबंधित विभागों और जिले के अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए छह हफ्ते के भीतर जवाब देने के निर्देश दिए हैं। याचिका में बताया गया है कि खनन पट्टों से बाहर बड़े पैमाने पर मिट्टी और बालू निकाली गई और नियमों को नजरअंदाज कर परिवहन भी किया गया। यह भी आरोप है कि निर्दिष्ट खदान क्षेत्रों पर सुरक्षा मानकों और पर्यावरणीय प्रावधानों की खुलकर अनदेखी की गई, जिसकी वजह से स्थानीय पर्यावरण और नदी क्षेत्र को नुकसान हुआ।

बांदा की बालू खदान की जांच को बनाई गई विशेष समिति

याचिका में बुंदेलखंड के एक प्रमुख खदान क्षेत्र का विशेष उल्लेख किया गया है, जहां नियमों की अनदेखी और खुलेआम खनन के आरोप लगे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए एनजीटी ने एक संयुक्त समिति गठित कर दी है, जो मौके पर जाकर स्थिति की जांच करेगी और रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

खनन क्षेत्रों में बढ़ी बेचैनी, अधिकारी सतर्क

एनजीटी के नोटिस के बाद खनन से जुड़े क्षेत्रों में हलचल तेज हो गई है। प्रशासनिक हलकों में भी इस मामले को लेकर गंभीरता दिखाई दे रही है। कई जिलों में अधिकारियों ने नियमन से जुड़े पुराने रिकॉर्ड खंगालने शुरू कर दिए हैं।

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