चित्रकूट। जिले में आने वाले दिनों में ठंड और शीतलहर का असर और तेज होने की संभावना है। इसका सीधा असर रबी की फसलों पर पड़ सकता है। कोहरा, पाला और ठंडी हवा फसलों की बढ़वार को रोक सकती है। ऐसे में किसानों को पहले से सतर्क रहने और फसलों की देखभाल पर खास ध्यान देने की जरूरत है, ताकि नुकसान से बचा जा सके।
कोहरा और पाला बढ़ा सकते हैं परेशानी
शीतलहर और कोहरे के कारण खेतों में नमी बनी रहती है, जिससे फसलों पर बुरा असर पड़ता है। गेहूं, चना, मटर, मसूर और सरसों जैसी फसलें ठंड के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। पाला पड़ने से पौधों की बढ़त रुक जाती है। पत्तियों पर सफेद धब्बे उभर आते हैं और कई बार पत्तियां सूखकर झुलस जाती हैं। इससे फसल कमजोर हो जाती है और रोग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है।
मिट्टी और सिंचाई पर रखें नजर
ठंड के मौसम में खेत की मिट्टी को सूखा नहीं रहने देना चाहिए। सूखी मिट्टी जल्दी ठंडी हो जाती है, जिससे पौधों को ज्यादा नुकसान होता है। हल्की-हल्की सिंचाई करते रहना फायदेमंद होता है। इससे जमीन में गर्माहट बनी रहती है और पाले का असर कम होता है।
दोपहर में करें कृषि कार्य
फसलों की छंटाई या अन्य जरूरी काम सुबह के समय करने से बचें। ठंड के समय पौधे अधिक नाजुक होते हैं। इसलिए दोपहर के समय कृषि कार्य करना बेहतर माना जाता है, जब तापमान थोड़ा बढ़ जाता है।
खाद और धुएं से बचें
ठंड के मौसम में अधिक खाद और नाइट्रोजन का प्रयोग नुकसानदायक हो सकता है। इससे पौधे कमजोर हो जाते हैं। वहीं, हवा चलने के दौरान खेतों में धुआं करने से भी बचना चाहिए, क्योंकि इससे फसलों को फायदा नहीं होता।
रोगों से बचाव है जरूरी
ठंड और नमी के कारण फसलों में रोग तेजी से फैलते हैं। इससे बचाव के लिए समय-समय पर उचित दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। इससे पत्तियों को सुरक्षित रखा जा सकता है और फसल को मजबूती मिलती है।

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