Chitrakoot: विकास के वादों में उलझा चित्रकूट, थमी रफ्तार से बढ़ी चिंता

चित्रकूट। धर्मनगरी चित्रकूट को विकास की नई पहचान दिलाने के दावे वर्षों से किए जा रहे हैं। बड़े मंचों से योजनाओं की घोषणाएं हुईं, नेताओं ने आकर उम्मीदें जगाईं, लेकिन जमीनी हकीकत आज भी लोगों को निराश कर रही है। विकास की जिन परियोजनाओं को चित्रकूट के भविष्य से जोड़ा गया था, वे या तो अधूरी हैं या फिर कागजों में ही सिमटी हुई हैं।

बाइपास और संपर्क मार्ग अब भी इंतजार में

शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए बाइपास मार्ग की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है, लेकिन अब तक यह सपना पूरा नहीं हो सका। इससे श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों दोनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। प्रमुख मार्गों को जोड़ने वाली योजनाएं भी आगे नहीं बढ़ पाईं, जिससे चित्रकूट का संपर्क आसपास के क्षेत्रों से अपेक्षित रूप से मजबूत नहीं हो पाया।

बड़े प्रोजेक्ट, लेकिन सन्नाटा

टाइगर रिजर्व, स्काई ग्लास ब्रिज और हवाई सुविधा जैसे प्रोजेक्ट कभी चर्चा में रहे। इनसे पर्यटन को नई दिशा मिलने की उम्मीद थी। हालांकि, वर्तमान स्थिति में ये योजनाएं ठप पड़ी हैं। इन परियोजनाओं के बंद होने से न सिर्फ स्थानीय रोजगार पर असर पड़ा, बल्कि धर्मनगरी की पहचान को भी झटका लगा है।

ओवरब्रिज बना अधूरा सवाल

राष्ट्रीय मार्ग पर रेलवे क्रासिंग के पास ओवरब्रिज का निर्माण वर्षों से चल रहा है। बार-बार डिजाइन और प्रक्रिया में बदलाव की बात सामने आई, लेकिन काम की रफ्तार नहीं बढ़ सकी। प्रशासन का कहना है कि अड़चनें दूर कर ली गई हैं, फिर भी निर्माण पूरा होने का इंतजार बना हुआ है।

सड़कें और पुल, हाल बेहाल

हाईवे को छोड़ दें तो जिले की कई सड़कों की हालत बारिश में खुलकर सामने आ जाती है। मरम्मत के बावजूद सड़कें टिक नहीं पा रहीं। पुराने पुल आज भी लोगों के लिए खतरा बने हुए हैं। मंदाकिनी नदी पर बना पुराना पुल जर्जर अवस्था में है और नया पुल बनने की प्रक्रिया बेहद धीमी है। ग्रामीण इलाकों में तो छोटे पुलों की कमी के कारण लोग जोखिम उठाकर आवागमन करने को मजबूर हैं।

लिंक एक्सप्रेसवे की अधूरी उम्मीद

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से चित्रकूट को जोड़ने की योजना को लेकर काफी समय से बातें हो रही हैं। जमीन की प्रक्रिया आगे बढ़ने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। इससे लोगों की उम्मीदों पर फिर से पानी फिरता नजर आ रहा है।

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