संपूर्णा क्लीनिक योजना ठण्डे बस्ते में पड़ी है, गिनी-चुनी महिलाओं की ही हो रही है जांच




झांसी के जिला महिला अस्पताल में 30 से 60 साल की महिलाओं में होने वाले कैंसर की पहचान और बचाव के उपायों के लिए संचालित संपूर्णा क्लीनिक योजना ठण्डे बस्ते में पड़ी है। क्लीनिक के शुरुआती दौर में यह तय किया गया था कि हर दिन 20 जांचें होंगी, लेकिन मौजूदा समय में काफी कम जांच हो रही हैं। इस मामले में सीएमएस डॉ. शाहिदा परवीन का कहना है कि कोरोना की वजह से ओपीडी में ही कम मरीज दिखाने के लिए आ रहे हैं। ऐसे में क्लीनिक में भी कम मरीजों की जांच हो रही है। मरीज बढ़ेंगे तो क्लीनिक में भी जांचें बढ़ेंगी।
बता दें कि प्रदेश सरकार ने राज्य में सभी प्रमुख गैर संचारी रोगों के लिए महिलाओं की जांच और उपचार के लिए वर्ष 2015 में संपूर्णा परियोजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य 30-60 वर्ष की आयु की महिलाओं में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रैशर, कार्डियो वेस्कुलर डिसीज, सर्वाइकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर की जांच और प्रबंधन है। 
चूंकि, बुंदेलखंड में महिलाओं में होने वाले कैंसर में सबसे ज्यादा सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर पाया जाता है। ऐसे में क्लीनिक के जरिए बीमारी के पहले ही इसकी पहचान की जा सकती है। 
महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर और स्तन कैंसर जैसे गैर संचारी रोग (एनसीडी) भारत में बीमारी और मृत्यु के अधिकतम बोझ में योगदान देती हैं। हर आठ मिनट में एक महिला की मृत्यु के साथ भारत में सर्वाइकल कैंसर से मृत्यु की खतरनाक दर की रिपोर्ट दर्ज की जाती है। इसके बाद स्तन कैंसर होता है, जो भारतीय शहरों में महिलाओं में लगभग एक चौथाई कैंसर का कारण है।

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