बुंदेलखंड: हल्दी के उत्पादन से मिलेगा किसानों को लाभ



हमीरपुर कृषि विज्ञान केंद्र में पिछले वर्ष एकीकृत बागवानी विकास मिशन परियोजना के तहत बीज के उद्देश्य से हल्दी का उत्पादन किया गया था। इसे जिले के किसानों के साथ-साथ चित्रकूट के किसान एवं बहराइच जिले के कृषि विज्ञान केंद्र को भी उपलब्ध कराया गया। इस परियोजना के प्रधान प्रभारी डॉ. भानू प्रकाश मिश्रा, सहप्राध्यापक बांदा कृषि एवं प्रौद्यौगिक विश्व विद्यालय बांदा के अनुसार इस परियोजना के माध्यम से बुंदेलखंड के किसानों के लिए मसाला जैसी महत्वपूर्ण फसल को बढ़ावा दिया जा सके।
बता दें कि कृषि विज्ञान केंद्र में गत वर्ष हल्दी की पैदावार को देखकर जिले के राठ, गोहांड, सरीला, मुस्करा, सुमेरपुर, मौदहा एवं कुरारा क्षेत्र के किसान कौशल किशोर, डॉ. प्रशांत कुमार, वैज्ञानिक उद्यान के मार्ग दर्शन में अमरूद के बगीचे में एक एकड़ क्षेत्रफल में हल्दी का उत्पादन कर रहे हैं। 
उन्होंने बताया कि वे पहले अमरूद के बगीचे में किसी भी प्रकार की फसल नहीं ले रहे थे। लेकिन डॉ. प्रशांत ने अमरूद के बाग में अमरूद के साथ हल्दी, अरबी एवं अदरक जैसी महत्वपूर्ण फसल का उत्पादन करना प्रारंभ कर दिया। उन्होंने बताया कि अगले वर्ष हल्दी की फसल पूरे एक हेक्टेयर अमरूद के बाद करेंगे। 
बता दें कि हल्दी की खेती बलुई दोमट भूमि में बहुत आसानी से की जा सकती है। इसकी खेती के लिए लगभग 15 क्विंटल प्रकंद प्रति हेक्टेयर की दर से आवश्यकता पड़ती है। हल्दी की बोवाई जून के महीने में की जाती है। इसकी खोदाई मार्च के महीने में करते है। इसमें प्रति हेक्टेयर लगभग 180 से 220 क्विंटल प्रकंद प्राप्त हो जाता है। इसकी खेती खुले क्षेत्रफल की तुलना में बागों के अंदर बहुत अच्छा पाया गया है। यह छाया पसंद करने वाली फसल है। 
बुंदेलखंड में अमरूद, आम, मौसम्बी, निम्बू, पपीता जैसी फसलों में अंत फसल के रुप में हल्दी अदरक व अरबी जैसी फसलों का अत्यधिक उत्पादन प्राप्त कर अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है। वर्तमान में जिले में हल्दी की फसल लगाने वाले किसान बलराम दादी, मोतीलाल, सुरेंद्र पाल सिंह, चंद्रपाल, नंदराम, कारेलाल खेती कर रहे हैं।

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