ललितपुर सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग की नियुक्तियों में विद्यालय आवंटन को बिगाड़ दिया है। राजकीय इंटर कालेज में चयन कमेटी के समक्ष ऑनलाइन विद्यालय आवंटन की प्रक्रिया हुई। इस दौरान 92 महिलाओं और 6 दिव्यांग शिक्षकों ने वरीयता के आधार पर विद्यालय मांगे। इस हेतु शिक्षकों की सुविधा के लिए प्रोजेक्टर भी लगाया गया था।
बेसिक शिक्षा विभाग की शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी रोकने के लिए योगी सरकार जीरो टॉलरेंस पर कार्य कर रही है। नवनियुक्त शिक्षकों को विद्यालय आवंटन पहले स्थानीय स्तर कराए जाने की योजना थी, इसे देख दलाल सक्रिय हो गए थे। शासन ने दलालों का खेल बिगाड़ने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाई। इसमें दलालों के मंसूबे धरे के धरे रह गए।
बृहस्पतिवार को दिव्यांग तथा महिला शिक्षिकाओं को विद्यालय आवंटन के लिए राजकीय इंटर कालेज बुलाया गया। यहाँ ऑनलाइन जारी किए गए विद्यालयों को देखने के लिए प्रोजेक्टर लगाया गया। इसके अंतर्गत उन विद्यालयों को दर्शाया गया था, जिनमें छात्र अनुपात के आधार पर शिक्षकों की कमी थी। जिस समय विद्यालय का विकल्प भरने की बारी आई, तो उन्हें कंप्यूटर में भी दिखाया गया। जैसे ही विद्यालय का विकल्प भरा गया, वैसे ही कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखने वाली सूची से वह विद्यालय गायब हो गया, ताकि किसी प्रकार के भ्रम की स्थिति न रहे।
इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए चयन समिति बैठी। समिति में डायट प्राचार्य जीएस राजपूत, बीएसए रामप्रवेश, जिलाधिकारी की ओर से नामित पीडी बलराम वर्मा, डायट प्रवक्ता उमा चौबे, जीजीआईसी प्रधानाचार्य पूनम मलिक शामिल रहीं। जीएस राजपूत ने बताया कि भर्ती के दौरान जिले में नियुक्त 239 शिक्षकों के लिए विद्यालय आवंटन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। इनमें से छह दिव्यांग एवं 52 महिला शिक्षिकाओं ने जीआईसी में पहुंचकर अपनी पसंद के विद्यालय भरे हैं। इस दौरान एक शिक्षिका अनुपस्थित रही। साथ ही एक सौ चालीस पुरुष शिक्षकों को रोस्टर प्रक्रिया से विद्यालय आवंटित किए जा रहे हैं। इसमें भी ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाई गई है।
इस विषय का नाता कहीं न कहीं #2030 के भारत के दसवें लक्ष्य असमानताओं में कमी से है। इस लक्ष्य के अंतर्गत यह संकल्प लिया गया है कि असमानता कम करने के लिए नीतियां सिद्धांत रूप में सार्वभौमिक होनी चाहिए जिनमें लाभों से वंचित और हाशिए पर जीती जनसंख्या की जरूरतों पर ध्यान दिया जाए। समावेशन को सामाजिक के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्रों में भी सभी आयु, लिंग, धर्म और जातीय समाजों में सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए जिससे देशों के भीतर समानता की परिस्थितियां पैदा हो सकें। इस लक्ष्य के चलते यह भी सुनिश्चित किया गया है कि भारत वर्ष के प्रत्येक व्यक्ति को अन्य व्यक्ति के समान ही अधिकार प्राप्त हो। इसके साथ ही विकलांगता, जातीयता, मूल धर्म, आर्थिक अथवा किसी अन्य भेदभाव के बिना प्रत्येक व्यक्ति के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना तथा परिणाम की असमानताएँ कम करना भी शामिल है।
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