झांसी में गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों के बीच वितरित होने वाले पोषाहार उपलब्ध कराने का जिम्मा अब स्वयं सहायता समूह संभालेंगे। इसके लिए ब्लॉक स्तर पर समूहों का चयन किया जा रहा है। यह दायित्व मिलने से ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक दशा में भी सुधार होगा।
बता दें कि बाल एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से विभिन्न आयुवर्ग के बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को पोषाहार दिया जाता है, लेकिन इनकी आपूर्ति में लगातार गड़बड़ियों की शिकायतें आ रही थीं। पंजीरी कंपनियों के एकाधिकार से वित्तीय गड़बड़ियां भी हो रही थीं। इनको देखते हुए सरकार ने कुछ दिनों पहले इस वित्तीय वर्ष के लिए टेंडर प्रक्रिया ही निरस्त कर दी।
इसके स्थान पर सरकार ने यह काम स्वयं सहायता समूह को देने का फैसला किया। प्रत्येक जनपद में करोड़ों रुपये का पोषाहार हर वर्ष वितरित किया जाता है। ऐसे में स्वयं सहायता समूह के जरिए यह काम कराने से इसका फायदा ग्रामीण महिलाओं को मिलेगा। इन दिनों ब्लॉक स्तर पर इनके चयन की प्रक्रिया चल रही है। प्रत्येक ब्लॉक में कम से कम छह समूह चयनित किए जाएंगे। इस समूह की महिलाएं ही पोषाहार तैयार करेंगी, जिसे गर्भवती महिलाओं तथा कुपोषित बच्चों को वितरित किया जाएगा।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक झांसी में छह माह से तीन वर्ष के 53864 बच्चे, तीन वर्ष से छह वर्ष तक के 34093 बच्चे सहित 22161 गर्भवती महिलाओं को पोषाहार वितरित किया जाता था। लॉकडाउन के दौरान गांव वापस आने वाले 1700 बच्चों तथा महिलाओं को भी पोषाहार दिया जा रहा है।
इस विषय का नाता कहीं न कहीं #2030 के भारत के दूसरे लक्ष्य शून्य भुखमरी तथा तीसरे लक्ष्य उत्तम स्वास्थ्य तथा खुशहाली से है, जिनका उद्देश्य देश से भुखमरी को पूर्णतः समाप्त करना तथा सभी लोगों को उत्तम स्वस्थ्य प्रदान करना है।
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