बुंदेलखंड क्षेत्र में बारिश का औसत 800 से 900 मिलीमीटर है। अगर इस पानी का प्रबंधन कर लिया जाए तो बुंदेलखंड में पानी की समस्या का स्थायी हल निकल जाएगा। सरकार ने इस बात को समझा और अब चेकडैम के निर्माण से उनके अधिग्रहण क्षेत्र में आने वाले इलाके के सूखे की समस्या लगभग खत्म हो चली है। धरती की प्यास तो बुझ ही रही है, साथ ही लहलहाते खेत किसानों के चेहरे पर मुस्कान भी ला रहे हैं।
दरअसल बुंदेलखंड की भौगोलिक संरचना पानी के प्रबंधन में सबसे बड़ी बाधा है। ऊंची-नीची पठारी भूमि के कारण बारिश का अधिकांश पानी नदियों में बह जाता है। ऐसे में भरपूर पानी के बाद भी बुंदेलखंड प्यासा ही रह जाता है। यही वजह है कि हाल के दो दशकों के दौरान बुंदेलखंड में 11 बार सूखा पड़ा।
पानी की नहीं, बल्कि प्रंबंधन की कमी है
भरपूर पानी के बावजूद बुंदेलखंड के सूखे का एकमात्र प्रभावी हल हैं यहाँ होने वाली बारिश की हर बूंद को प्राकृतिक जलस्रोतों में सहेजना, जिससे की वह बारिश के बाद वाले समय में खेतों की सिंचाई और मवेशियों के पीने के काम आए। यही नहीं, ऐसा करने से यहाँ की खेतीबाड़ी का पूरा परिदृश्य बदल सकता है।
बता दें कि बुंदेलखंड के खेतों और लोगों की प्यास बुझाना योगी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सत्ता में आने के बाद ही उन्होंने इसके लिए खेत-तालाब योजना शुरू की। कम पानी में अधिक रकबे की सिंचाई के तौर पर कुछ सिंचाई परियोजनाओं को सिंचाई के अपेक्षात दक्ष, स्प्रिंकलर विधा से भी जोड़ने की योजना है। सबको शुद्घ पानी उपलब्घ कराने के लिए हर-घर नल योजना की शुरुआत भी बुंदेलखंड से ही हुई है।
स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन भी चेक डैम बनवाकर कुछ ऐसे ही प्रयास कर रहा है। झांसी के माइनर इरीगेशन विभाग ने पिछले तीन वषों में बुंदेलखंड और जिला योजना के जरिए झांसी जिले में क्रमश: 47 और 9 चेक डैम बनावाए। इनके जरिए साल भर पानी की उपलब्धता के नाते पूरे इलाके में दो फसलें ली जाने लगीं। कुछ किसान परंपरागत खेती की जगह अधिक लाभ वाली सब्जियों की खेती भी करने लगे हैं। भूगर्भ जल का स्तर भी बढ़ गया। इससे किसान काफी खुश हैं।
ये कहना है जानकारों का
झांसी के गुरुसराय ब्लाक के गढ़ा ग्राम पंचायत के पुरुषोत्तम का कहना है कि आप सिंचाई की बात कर रहे हैं। हमें तो नहाने और पीने के लिए भी पानी नहीं मिलता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। जबसे गांव के पास दो चेकडैम बने हैं, हमारी खेती दो फसली हो गई। पंप लगाकर आराम से खेत सींच लेते हैं।
चिरगांव ब्लाक के ईटवाखुर्द ग्राम पंचायत के रहने वाले जितेंद्र सिंह ने बताया कि पहले हम बारिश के भरोसे सिर्फ खरीफ की ही कुछ फसलें ले पाते थे, वो भी मूंगफली और उरद जैसी कम पानी में तैयार होने वाली। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब इनके साथ सरसों, चना, मटर, आलू और गेहूं की भी फसल ले लेते हैं। जनवरी तक डैम में पानी रहता है।
बारेई गांव के महेंद्र सिंह बताते हैं कि पहले तो पानी ही नहीं था। चेक डैम्स बनने से फरवरी-मार्च तक पानी रहता है। लिहाजा हम खरीफ के साथ रबी की फसलें ले रहे हैं। रबी के सीजन में दिक्कत सिर्फ अंतिम सिंचाई की होती है। डैम की गहराई बढ़ाकर और पानी कम होने पर पास की माइनर से पानी लाकर इस समस्या का भी हल निकल सकता है।
प्रदेश सरकार में जलशक्ति राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड में पानी की कमीं नहीं होनी देगी। चैकडैम्स से किसानों को बहुत लाभ होगा। इससे वाटर लेवल ठीक होगा। इससे सिंचाई में बहुत सहयोग मिलेगा।
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