बुंदेलखंड की माटी आयुर्वेद की रामबाण औषधियों के लिए खरा सोना है



असाध्य रोगों के कारगर इलाज में पूर्ण रूप से समर्थ आयुर्वेद की कई श्रेष्ठ जड़ी-बूटियों के लिए बुंदेलखंड की माटी रामबाण है। ललितपुर-झांसी के जंगलों में कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, जिनमें गिलोय या अमृता, तुलसी, एलोवेरा, सफेद मूसली, बबूल, नीम, आंवला, मदार समेत कई अन्य औषधियां प्राकृतिक रूप से उत्तम गुण धारण किए हुए हैं। यहाँ की धरती पर दवाओं के रूप में देश-विदेश तक की चिकित्सा जरूरतों को पूरा करने के संसाधन हैं।
 
घर-परिवार में आरोग्य का वरदान रहे तो खुशियां बढ़ जाती हैं। बुंदेलखंड की माटी में ऐसी तमाम औषधियां पनपती हैं, जिन्हें आयुर्वेद में रामबाण माना जाता है। इनमें अश्वगंधा, सफेद मूसली, पुनर्नवा, पलाश, जटामासी, महुआ, खैर, गिलोय, बेल, आंवला, हरिद्रा, मुस्तक, नागकेसर, गुग्गुल, भ्रंगराज, अपामार्ग, गुंजा, तुलसी, बाबुची, बचा, गंभारी, सहजन, कंठकारी, सहजन, कुटज, बबूल, नीम, मदार आदि प्रमुख हैं।

बुंदेलखंड के ललितपुर, झांसी, शिवपुरी, ओरछा के जंगलों में मिलने वाली जड़ी- बूटियां विशेष हैं। बुंदेलखंड राजकीय आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर केदारनाथ यादव बताते हैं कि यहाँ पाई जाने वाली अड़ोसा कफ, अस्थमा, पीठ दर्द के इलाज में रामबाण औषधि साबित होती है। इसी तरह कामराज से मुंह के अलसर व डायरिया में और अर्जुन हृदय रोग के इलाज में बहुत कारगर है। खैर का उपयोग त्वचा संबंधी रोगों की औषधि बनाने में और गुग्गुल का गठिया या जोड़ों के दर्द के इलाज में किया जाता है। हृदय रोग, अस्थमा या मुंह का अलसर हो, यहाँ की औषधियां कारगर हैं। 

ये भी हैं खास
बुंदेलखंड क्षेत्र में पैदा होने वाला बबूल भी बहुत खास है। इसका उपयोग तमाम रोगों के इलाज में किया जाता है। बबूल आयुर्वेद की दवाओं के निर्माण में बेजोड़ बाइंडिंग एजेंट होता है। बुंदेलखंड की जलवायु बबूल के लिए अनुकूल है। इसी तरह यहाँ की तुलसी तथा नीम भी खास हैं।
डेंगू और कोरोना से बचाव के लिए इम्युनिटी बढ़ाने में गिलोय और तुलसी बहुत उपयोगी हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र में नीम भी अच्छी गुणवत्ता वाले होते हैं। इस कारण यहाँ नीम के पेड़ पर बढ़ने वाली गिलोय भी अति उत्तम है।

इस विषय का नाता कहीं न कहीं #2030 के भारत के बारवें लक्ष्य संवहनीय उपभोग और उत्‍पादन से है। इस लक्ष्य का उद्देश्‍य कम साधनों से अधिक और बेहतर लाभ उठाना, संसाधनों का उपयोग, विनाश और प्रदूषण कम करके आर्थिक गतिविधियों से जन कल्‍याण के लिए कुल लाभ बढ़ाना और जीवन की गुणवत्‍ता में सुधार करना है। इसके साथ ही उपभोक्ता स्तरों पर भोजन की प्रति व्यक्ति बर्बादी को आधा करना और फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान सहित उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं में खाद्य पदार्थों की क्षति को कम करना, स्वीकृत अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के अनुसार रसायनों और उनके कचरे का उनके पूरे जीवन चक्र में पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित प्रबंधन हासिल करना, वायु, जल और मिट्टी में उन्हें छोड़े जाने में उल्लेखनीय कमी करना ताकि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर उनका विपरीत प्रभाव कम से कम हो।

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