हिंदी सिनेमा के बेहतरीन कलाकार अमजद खान का जन्म 12 नवंबर 1940 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने अपने फिल्मी करियर में कई यादगार किरदार निभाए। जो अद्भुत कारनामा उन्होंने फिल्म शोले में 'गब्बर' बनकर किया, वो बॉलीवुड में हमेशा के लिए अमर हो गया। इस फिल्म में उन्हें सलीम खान और जावेद अख्तर के कहने पर लिया गया था। लेकिन इस फिल्म के बाद ऐसा क्या हुआ कि जो अमजद खान ने अपने पूरे करियर में फिर कभी सलीम-जावेद के साथ काम नहीं किया?
दरअसल गब्बर का रोल पहले डैनी को ऑफर हुआ था लेकिन उसी दौरान अफगानिस्तान में उन्हें फिरोज खान की फिल्म 'धर्मात्मा' भी शूट करनी थी। इसी वजह से उन्होंने शोले में काम करने से मना कर दिया। डैनी के बाद शोले के लेखक सलीम खान और जावेद अख्तर गब्बर के किरदार के लिए एक अभिनेता की तलाश कर रहे थे और इसी दौरान उनके दिमाग में अभिनेता जयंत के बेटे अमजद खान का नाम आया। सलीम ने अमजद को दिल्ली में एक नाटक में देखा था। उन्होंने शोले के निर्देशक रमेश सिप्पी से अमजद को लेने के लिए कहा।
फिल्म की शूटिंग के दौरान जब अमजद खान ने गब्बर का डायलॉग बोलना शुरू किया तो जावेद अख्तर को उनकी आवाज रौबदार नहीं लगी। फिर ये बात अमजद खान तक पहुंची कि सलीम-जावेद ने रमेश सिप्पी से कहा है कि भले ही हमने इस लड़के का नाम सुझाया है लेकिन अगर आपको इसकी एक्टिंग और आवाज अच्छी नहीं लगी हो तो आप इसे फिल्म से निकाल भी सकते हैं। किसी और को गब्बर के किरदार के लिए ले लिया जाएगा।
इसके बाद सलीम-जावेद और अमजद खान के बीच ये गलतफहमियां इतनी बढ़ गई कि फिर उन्होंने कभी साथ काम नहीं किया। हालांकि जब शोले रिलीज हुई तो अमजद खान के किरदार को लोगों ने बहुत पसंद किया। उनके अनोखे अंदाज, गेटअप और डायलॉग बोलने के तरीके ने गब्बर के किरदार को बॉलीवुड के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करा दिया।
अमजद खान को गब्बर सिंह की वजह से मिली कामयाबी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उन्हें बिस्कुट बनाने वाली एक कंपनी ने अपने ब्रांड एंबेसडर के तौर पर साइन कर लिया गया था। बॉलीवुड के किसी विलेन का विज्ञापनों में आने का ये शायद पहला मौका था।
साभार - Amar Ujala
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