उद्योग मंडल एसोचैम की मानें तो किसानों के आंदोलन के कारण पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उद्योग मंडल ने मोठे तौर पर अनुमान लगाया है कि किसानों के आंदोलन की वजह से क्षेत्र की मूल्य शृंखला और परिवहन प्रभावित हुआ है, जिससे रोजाना 3 से 4 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। एसोचैम के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा, 'पंजाब, हरियाणा, हिमाचाल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्थाओं का सामूहिक आकार करीब 18 लाख करोड़ रुपये है। किसानों के विरोध-प्रदर्शन, सड़क, टोल प्लाजा और रेल सेवाएं बंद होने से आर्थिक गतिविधियां ठहर गई हैं।'
ठोस प्रस्ताव की मांग
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली से सटी सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसानों ने इस आंदोलन को और तेजी देने के संकेत भी दिए हैं। ऐसे में आज सुप्रीम कोर्ट भी इस पर अपना फैसला सुनाने जा रहा हैं। उसके आधार पर तस्वीर और अधिक साफ़ होगी कि क्या किसान सड़कों पर बने रहेंगे या फिर उन्हें अपना आंदोलन कही और ले जाना होगा।
किसान नेताओं ने क्या कहा?
किसान नेताओं ने कहा कि वे वार्ता से नहीं भाग रहे हैं लेकिन सरकार को उनकी मांगों पर ध्यान देना होगा और ठोस प्रस्ताव के साथ आना होगा। किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने कहा, 'सरकार कह रही है कि वह इन कानूनों को निरस्त नहीं करेगी, हम कह रहे हैं कि हम आपसे ऐसा करवाएंगे।'
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