कटनी रेलवे स्टेशन पर कुली नंबर-36 , नाम है संध्या, पूरा नाम संध्या मारावी, बुंदेलखंड की रहने वाली संध्या अपने नाम के उलट, अपने घर परिवार व खासकर समाज के लिए एक नया सवेरा बन कर उभरी हैं। संध्या अब रेलवे के लिए भी एक मिसाल बन गयी हैं।
महिला सशक्तिकरण की बात आते ही संध्या का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है। उनकी बांह पर बंधा पीतल का कुली नंबर-36 का बिल्ला, 65 पुरुष कुलियों के बीच एकलौती महिला कुली की विशेषता अलग ही दर्शाता है।
संध्या रोजाना जबलपुर से 45 किलोमीटर का सफर तय कर के कटनी रेलवे स्टेशन पहुँचती हैं। वह बताती हैं कि 2016 में पति की मौत के बाद यह सब मजबूरी था लेकिन अब यही उनका लक्ष्य है। संध्या का मानना है कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता, बस इंसान की सोच और संकोच छोटा होता है।
संध्या चाहती हैं कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर भारतीय सेना का हिस्सा बनें। उनके घर में तीन छोटे बच्चों के अलावा बूढ़ी सास भी हैं। जिनकी देखरेख भी वह बखूबी कर रही हैं। अखिल भारतीय बुंदेलखंड विकास मंच के राष्ट्रीय महासचिव नसीर अहमद सिद्दीकी का कहना है कि बुंदेलखंड में संध्या जैसे हौसलों वाली महिलाओं की तादाद बहुत अधिक है। उन्हें अवसर और प्लेटफार्म की जरूरत है।
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