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शुद्ध देसी घी वाला खाना, एक अनोखा आयोजन कुत्तों के लिये

दतिया जिले के केवलारी गांव में एक अनोखा कार्यक्रम अयोजन किया गया, जो कभी पहले किसी ने ना देखा होगा और ना ही किसी ने उस बारे में सुना होगा. अभी तक आपने भंडारों और अन्य समारोहों में पत्तल पर भोजन करते और परोसते हुए सिर्फ इंसानों को देखा होगा. लेकिन इस आयोजन में कुत्ते भोजन कर रहे हैं और इंसान कुत्तों को खाना परोस रहे हैं. इस समारोह के आयोजक ने कुत्तों को बकायदा पत्तल पर खाना खिलवाया. खाने में सिर्फ देसी घी का प्रयोग किया गया . खाने में शुद्ध घी की पूड़ी, खीर और बूंदी परोसी गई. 

कुत्तों का अपमान नहीं हुआ बरदाश्त,कुत्तों को भोज देने की ठानी 

कुत्ते के भोजन के आयोजन की कहान बिल्कुल अनूठी लगती है. केवलारी में भागवत कथा का आयोजन किया गया था. भागवत कथा के समापन पर भंडारे का आयोजन किया गया था . भंडारे के दौरान गांव के रामजी अहिरवार ने कुत्तों को जूठी पत्तलें चाटते और लोगों को कुत्तों को दुत्कारते देखा. रामजी को यह सब अच्छा नहीं लगा. फिर वो ही दृश्य उन्हें सपने में आया. तो उन्होंने कुत्तों को भोज देने की ठान ली. रामजी ने जब इस बारे में अन्य लोगों को बताया तो सभी ने उनकी इस पहल की खूब तारीफ की, बुधवार को सुबह रामजी ने गांव में जिन लोगों के यहां कुत्ते पले हैं उनके घर जाकर निमंत्रण दिया. शाम के समय दलित बस्ती में लोग अपने-अपने कुत्तों को भोजन कराने के लिए रामजी के यहां पहुंचे.



लोगों की मदद से पत्तल में कुत्तों को कराया भोजन

रामजी ने वहां लोगों की मदद से कुत्तों को पत्तल डाल कर भोजन कराया. इस दौरान करीब डेढ़ सौ कुत्तों को भोजन कराया गया. बस्ती में कुत्तों को भोजन कराने के अलावा रामजी ने आसपास के खेतों, खलिहानों और सड़क पर घूमने बाले कुत्तों को भी भोजन कराया.

रामजी 5 साल से कर रहे हैं यह आयोजन

रामजी कहते है कि कुत्ते जूठे पत्तल चाटते हैं, और लोग उन्हें दुत्कारते हैं इसलिए हमने सोचा कि एक दिन कुत्तों के लिए भोज का आयोजन किया जाए. वो हर साल कुत्तों के लिए भोज का आयोजन करते हैं. रामजी करीब पांच वर्ष से यह अनूठा आयोजन कर गांव के दो सौ कुत्तों को पकवान बनाकर भोजन करा रहे है.

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