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बांदा: नाम की ख्वाहिश नहीं, बस संक्रमितों और जरूरतमंदों की भूख मिटाना इस इंसान का मकसद

कोरोना संक्रमण काल में जब अपनों ने भी दूरी बना ली है। ऐसे में इन पीड़ित परिवारों की मदद के लिए शहर के एक समाजसेवी ने हाथ आगे बढ़ाए हैं। वह इन जरूरतमंद लोगों को निःशुल्क भोजन पहुंचा रहे हैं। नाम की ख्वाहिश नहीं है, इसलिए अपना नाम और पहचान गुप्त रखे हैं।


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मित्र के बच्चों का दर्द देख हुआ पीड़ा का अहसास 

उन्होंने नाम व पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि उनके एक मित्र व उनकी पत्नी कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हो गए थे। दोनों ही सरकारी नौकरी में हैं। बाद में उनके दोनों बच्चों की भी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। दुखद स्थिति तब हुई, जब दोनों बच्चों को भोजन के भी लाले हो गए। इस दौरान कई परिवारों में यह भी देखने को मिला कि देवरानी जेठानी या फिर अन्य स्वजन संक्रमित से दूरी बनाए रहे। इसे संक्रमण की दहशत भी कह सकते हैं। 

बस यहीं से ऐसे लोगों की पीड़ा का अहसास किया और यह सेवा शुरू की है। संक्रमित व भोजन के बीच बस एक कर्मचारी, बाकी सब पर्दे के पीछे। एक युवक ने बताया कि वह कर्मचारी है, उसका काम बस इतना है कि आने वाले फोन नंबर व पता नोट कर आगे बढ़ा देना है। दूसरी टीम ऐसे लोगों के घर भोजन के पैकेट पहुंचाएगी। सबको हिदायत है कि वह नाम नहीं बताएंगे।

स्रोत-जागरण 

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