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मंत्री उषा ठाकुर ने किया ‘वीर पुत्र महाराणा प्रताप शोध पीठ’ का शुभारंभ

'वीर नायक महाराणा प्रताप की जन्म जयंती एक पावन दिवस है। महाराणा प्रताप का भारतीय जीवन-शैली, संस्कृति और राष्ट्र के प्रति जीवन-दर्शन हम सभी को हमेशा से प्रेरित करता रहा है। आज आवश्यकता इस बात कि है कि हमारी युवा पीढ़ी को महाराणा प्रताप के शौर्य के साथ उनके जीवन-मूल्यों से अवगत कराया जाये''। यह बात संस्कृति, पर्यटन एवं आध्यात्म मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विश्वविद्यालय, महू में ‘वीर पुत्र महाराणा प्रताप शोध पीठ’ के शुभारंभ अवसर पर कही।


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मंत्री उषा ठाकुर महाराणा प्रताप के 481वें जन्म दिवस के अवसर पर बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विश्वविद्यालय महू, वीरपुत्र महाराणा प्रताप शोध पीठ, मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय और संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी-वेबीनार को संबोधित कर रही थीं।

'महाराणा प्रताप की युद्ध रणनीति एवं व्यूह कौशल : एक अभिनव दृष्टिकोण'' विषय पर ऑनलाइन वेबिनार में प्रोफेसर रवीन्द्र शर्मा ने बताया कि महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के सर्वमान्य जन-नायक हैं। महाराणा प्रताप ने सदैव सभी वर्गों को साथ लेकर उनकी योग्यता के अनुरूप सम्मान दिया। उन्होंने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। प्रोफेसर शर्मा तकरीबन 55 वर्ष से महाराणा प्रताप पर शोध कार्य कर रहे हैं। 

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रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल दुष्यंत सिंह ने कहा कि गोरिल्ला युद्ध का जो स्वरूप आज हम देखते हैं, वह वीर पुत्र महाराणा प्रताप ने अपने समय में ही बना लिया था। 'गुरिल्ला युद्ध' महाराणा प्रताप की युद्ध रणनीति का अहम हिस्सा था, जिसकी वजह से हमेशा मुगल शासकों को पराजय का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा सुनकर जिस तरह वे सेना में भर्ती हुए, वैसे ही जोश और उमंग हमारे नौजवानों में संचार करने की आवश्यकता है।

डॉ. जयंत मिश्रा कसंलटेंट ड्रग लॉ इनफोर्समेंट ने पीपीटी के माध्यम से वीर पुत्र महाराणा प्रताप के शौर्य एवं उनकी कौशल रणनीति को बारीकी से प्रस्तुत किया। 

महाराणा प्रताप एग्रीकल्चर एवं टेक्नालॉजी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौर ने युवाओं से आह्वान किया कि वे महाराणा प्रताप के जीवन-दर्शन के पाँच तत्व अपने जीवन में उतारें और शपथ लेकर उनका अनुसरण भी करें।

 संगोष्ठी में रजिस्ट्रार अजय वर्मा सहित विश्वविद्यालय के अधिकारी और सामाजिक सेवक ऑनलाइन उपस्थित रहे।

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