"मदनटूसी गांव के आंगनबाड़ी केंद्र वाली ऊषा दीदी पिछले साल कोरोना में खत्म हो गई थीं। इसलिए विभाग ने हमें उनके सेंटर का अतिरिक्त चार्ज दे दिया। इससे काम का प्रेशर दोगुना बढ़ गया है। योगी नई भर्तियां निकालते हैं, तो बहुत सुकून हो जाएगा।" यह कहना है रायबरेली के अघौरा गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुधा देवी का। सुधा इस वक्त 2 आंगनबाड़ी केंद्र संभाल रही हैं। उन पर 120 से ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है। इसमें गर्भवती महिलाएं, किशोरियां और बच्चे शामिल हैं।
सुधा जिन भर्तियों की बात कर रही हैं उसपर सीएम योगी ने 19 अप्रैल को बड़ा आदेश दिया। यूपी में 100 दिन के एजेंडे को लेकर योगी सभी विभागों के साथ बैठक करते हैं। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की प्रजेंटेशन में योगी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की कई साल से लटकी भर्तियों पर अधिकारियों को आदेश देते हैं। वो कहते हैं, "आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के 20 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया अगले 6 महीने में पूरी कराएं। सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को आयुष्मान भारत योजना का लाभ दिलाया जाए।"
19 अप्रैल को सीएम योगी ने 20 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की भर्ती के आदेश दिए।
19 अप्रैल को सीएम योगी ने 20 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की भर्ती के आदेश दिए।
सीएम योगी के इस आदेश से यूपी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को कितनी राहत मिलेगी। ये हमने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से जाना है। पहले यूपी के आंगनबाड़ी वर्कर्स से जुड़े फैक्ट्स को 3 ग्राफिक्स के जरिए समझते हैं।
भारत की सबसे बड़ी आंगनबाड़ी वर्कर्स की चेन यूपी में
उत्तर प्रदेश में करीब 1 लाख 87 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इन केंद्रों पर 1.68 करोड़ से ज्यादा महिलाओं, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को सुविधाएं दी जाती हैं। इसमें से 6 साल के बच्चों की संख्या 1.31 करोड़ है। यूपी में 1,70,869 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता काम कर रहे हैं, जो देश में सबसे ज्यादा है।
यूपी में 50 हजार पोस्ट खाली हैं। इन्हें अगले 6 महीनों में भरा जाना है। बाकी बचे 30 हजार पोस्ट पर अप्रैल 2023 तक लोगों को भर्ती करने का टारगेट रखा गया है।
अब
आंगनबाड़ी वर्कर्स पर आंकड़ेबाजी यहां खत्म होती है। खबर में आगे चलने से पहले हमारे इस सवाल का जवाब दीजिए...
2011 के बाद से नहीं हुई भर्तियां, रिटायर हो गए 50 हजार वर्कर्स
यूपी आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन आंगनबाड़ी वर्कर्स की पोस्टिंग और उनके हक की लड़ाई लड़ने वाली संस्था है। इसकी अध्यक्ष वीना गुप्ता ने हमें बताया, "यूपी में 2011 से आज तक आंगनबाड़ी वर्कर्स के लिए भर्ती नहीं निकली है। मायावती सरकार में डीएम स्तर पर इनकी नियुक्ति किए जाने का खांका तैयार किया गया था। लेकिन चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफीसर यानी CDPO के विरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी। इसके बाद आज तक कोई भर्ती नहीं हुई।"
वीना आगे कहती हैं, "यूपी में मई 2020 के बाद 50 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी वर्कर्स से रिटायरमेंट ले लिया गया। इससे काफी सेंटर्स खाली हो गए हैं। इन्हें मैनेज करने के लिए अब कार्यकर्ताओं को 2 से 3 सेंटर्स की जिम्मेदारी दी गई है। अगर सरकार ट्रांसपेरेंट तरीके से इन भर्तियों को जल्द से जल्द कर देती है, तो वर्कर्स पर पड़ रहा प्रेशर कम होगा।"
2021 में भर्ती का आदेश आया पर बात नहीं बनी
बात जनवरी 2021 की है। स्वास्थ्य विभाग ने 50 हजार आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर की पोस्ट भरने का आदेश जारी किया। भर्तियों के लिए लोगों से विभाग की वेबसाइट पर आवेदन मांगे गए। लेकिन टेक्निकल गड़बड़ी की वजह से पोर्टल में प्रमाणपत्र अपलोड करने का कॉलम नहीं आता था। इसके चलते 15 जिलों के डीएम ने सरकार के सामने अपने हाथ खड़े कर दिए। फिलहाल सरकारी पोर्टल पर इन भर्तियों को लेकर कोई जानकारी नहीं है, लिहाजा अभी तक भर्तियां नहीं हो पाई हैं।
योगी के आदेश के बाद एक्शन में आया ICDS
उत्तर प्रदेश बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग यानी ICDS में लखनऊ मंडल के डीपीओ सुनील श्रीवास्तव कहते हैं, "सीएम योगी के आदेश के बाद विभाग की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। हमारा टारेगेट है कि 6 महीने से पहले इन भर्तियों की प्रक्रिया पूरी की जाए। फिलहाल भर्ती को लेकर कोर्ट के एक ऑर्डर लटका हुआ है, जैसी ही हमें इजाजत मिलती है भर्ती प्रकिया शुरू हो जाएगी।"
कोरोनाकाल में ड्यूटी के दौरान 85 आंगनबाड़ी वर्कर्स की मौत हो गई
यूपी आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन के मुताबिक, कोरोना महामारी में ड्यूटी के दौरान प्रदेश में 85 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी। यूनियन ने इन मौतों के बाद सरकार के सामने एक मांग रखी थी। मांग थी कि जिन वर्कर्स की कोविड ड्यूटी के दौरान मौत हुई उनके परिवार के सदस्यों को भर्ति प्रक्रिया में वरीयता दी जाए। संगठन की दूसरी मांग थी- जो वर्कर्स रिटायर हो गए हैं, उनके परिवार से लोगों को नौकरी दी जाए।
साभार- भास्कर
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