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स्वास्थ्य सेवाओं में उन्नति करता छतरपुर


 

कोरोना महामारी ने स्वास्थ्य सेवाओं में लम्बे समय से की जा रही सुधार की मांगो का औचित्य साबित कर दिया। महामारी की दूसरी लहर ने उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की उन सभी खामियों को उजागर कर दिया जो कि समय के साथ दबी चली आ रहीं थी।ऐसे समय में ऑक्सीजन सिलिंडर, वेंटीलेटर और यहाँ तक की अस्पतालों में बिस्तर मिलना तक मुश्किल हो गया था। महामारी के भीषण प्रकोप ने लाखों मौतों के साथ मानवता को पीड़ित किया है। लेकिन इस पीड़ा के साथ हमें कई अनमोल पाठ भी सीखने को मिले हैं। आज 7 अप्रैल, विश्व स्वास्थ्य दिवस जो कि  विश्व स्वास्थ्य संगठन का स्थापना दिवस भी है, के अवसर पर मौका है कि हम अपनी चुनौतियों की चर्चा करें।

वर्ष 2020 में 15वे वित्त आयोग ने स्वास्थ्य सेवाओं, खासकर इसकी अधोसंरचना में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के महत्त्व को रेखांकित किया था। कोरोना कल में में केंद्र सरकार की साधिकार समिति ने राज्य सरकारों को कोरोना महामारी के बेहतर इलाज और प्रबंधन के लिए निजी क्षेत्र का सहयोग लेने के निर्देश दिए थे।

नीति आयोग के आकांक्षी जिलों की सूची में से 8 जिले मध्यप्रदेश में हैं, ये वो जिले हैं जिन्हे स्वास्थ्य समेत मानवीय विकास सूचकांक के कई पहलुओं में काम करने की जरुरत है। मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में स्थित छतरपुर जिला भी इन आकांक्षी जिलों में से एक है। छतरपुर जिला कई दशकों से औद्योगिक विकास की कमी, रोजगार की कमी से पलायन जैसी कई पुरानी समस्याओं से जूझ रहा है। लेकिन, छोटे ही सही पर दृढ क़दमों के साथ छतरपुर की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार जारी है।

यहां स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत बनाने में निजी क्षेत्र बढ़ चढ़ कर अपनी जिम्मेदारी को पूरा कर रहा है। उदाहरण  के लिए एस्सेल माइनिंग इंडस्ट्रीस लिमिटेड द्वारा लगातार छतरपुर की स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए लगातार योगदान दिया जा रहा है। एस्सेल माइनिंग द्वारा बक्सवाहा के सामुदयिक स्वास्थ्य केंद्र को एक उन्नत जीवन रक्षक एम्बुलेंस प्रदान के साथ मरीजों की जांच के उपकरण प्रदान किये गए। इस एम्बुलेंस के साथ गंभीर मरीजों का सुरक्षित परिवहन किया जा सकेगा। इसके साथ ही एस्सेल माइनिंग द्वारा डिजिटल सी आर्म एक्स रे मशीन के साथ पथलॉजिकल जांच उपकरण छतरपुर जिला अस्पताल को दिए गए हैं। साथ ही जिले के बक्सवाहा जैसे दूर-दराज  इलाकों में कोरोना वैक्सीन के सुगम और सुरक्षित परिवहन के साथ टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए वाहन उपलब्ध कराये गए जिसके फलस्वरूप लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा आबादी का टीकाकरण सफल हो सका।

राज्य सरकार ने 2022-23 के बजट में छतरपुर में मेडिकल कॉलेज की स्थापना करने की घोषणा की है।छतरपुर जिला अस्पताल में हाल ही में 800 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाला लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया है। शिशुओं और बच्चों के लिए 10 बिस्तर के  आईसीयू और ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की यूनिट जल्द ही अस्पताल में शुरू होगी। इन छोटे पर महत्वपूर्ण सुधारों में छतरपुर जिला अस्पताल को केंद्र सरकार का कायाकल्प अवार्ड भी दिलवाया है।

केंद्र सरकार द्वारा 64,180 करोड़ रुपये के अनुदान वाली प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (PMABHIM) के तहत स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को उन्नत बनाने के लिए 2026 तक पूरे भारत में हर जिले पर औसतन 100 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, इसका फायदा छतरपुर को भी मिलेगा। वैश्विक दृष्टि से भारत को आज भी स्वास्थ्य सेवाओं पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 3 प्रतिशत व्यय करना चाहिए। विकसित देश जैसे कि अमेरिका तथा ब्रिटैन अपने जीडीपी का 12-15  प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाओं पर लगाते हैं, यूरोप एवं अन्य प्रगतिशील देशों में यह खर्च जीडीपी के 8 – 10 % स्तर पर है।

पीपीपी मॉडल इस कमी को पूरा कर सकता है। छतरपुर जिला प्रशासन निजी कंपनियों के महत्व को पहचानता है और जिले में कंपनियों को आकर्षित करने के लिए एक दृष्टिकोण पर काम कर रहा है जिससे न केवल स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचा बेहतर हो सकेगा बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। निजी कंपनियां सीएसआर खर्च पर भी जोर दे सकती हैं जिससे समुदायों का निर्माण हो सकता है और अगली पीढ़ी के लिए बेहतर भविष्य सुरक्षित किया जा सकता है। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने सार्वजनिक - निजी भागीदारी (PPP) के आधार पर राज्य भर में नए मेडिकल कॉलेज और सुपर - स्पेशलिटी अस्पताल स्थापित करने का निर्णय लिया है। मध्य प्रदेश भी ऐसा कर सकता है और अपने साथ मिलकर काम करने के लिए सर्वश्रेष्ठ संगठनों को आमंत्रित कर सकता है।

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