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कदन्न फसलो में बुन्देलखण्ड भारत में अग्रणी भूमिका निभा सकता है : कुलपति

कदन्न फसलो में बुन्देलखण्ड भारत में अग्रणी भूमिका निभा सकता है : कुलपति वर्तमान समय कदन्न फसलो (मिलेट्स) की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। भारत वर्ष के शहरी क्षेत्रो के साथ साथ वैश्विक बाजार मे इसकी मांग मे बढोतरी देखी गयी है। विश्व स्वास्थ संगठन ने कई बार इन फसलो का उपयोग स्वास्थ के लिये जरूरी बताया है।

  


कदन्न फसलो की भूमिका एवं मांग को देखते हूए बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बांदा एवं उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान मे ‘‘मिलेट दिवस‘‘ 20 जुलाई को मनाये जाने का निर्णय लिया है। इस कार्यक्रम के आयोजन का मुख्य उदेश्य भूली विसरी फसलो की खोज के तरफ आम जन मानस के साथ साथ कृषको को आकर्षित करना है। 

इस कार्यक्रम से संबंधित चर्चा पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.पी. सिंह ने बताया कि आने वाले समय मे यह फसल बुन्देलखण्ड के लिये वरदान साबित होगी। हमने अपने पूर्वजो को ज्वार, बाजरा, रागी, मडुआ, कोन्दो, साँवा व मक्का खाते हुए जाना एवं सुना है। परन्तु हमने और वर्तमान पीढी ने इसे नही अपनाया जिस वजह से यह हमारे थाली, घर एवं खेतो से गायब हो गया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.पी. सिंह ने बताया कि वर्ष 2023 को अंर्ताराष्ट्रीय मिलेट वर्ष मनाया जाने का प्रस्ताव है, इसे ध्यान मे रखते हुए इन फसलो पर जोर दिया जाना आवश्यक है। इसी क्रम मे यह मिलेट दिवस मनाया जाना एक मार्गदर्शन का कार्य करेगा।

देश के कुछ भागो मे अभी भी इसकी खेती बहुतायक एवं मुख्य फसल के रूप मे की जा रही है।बुन्देलखण्ड की जलवायु परिस्थितियां एवं संसाधन इन फसलो की खेती के लिये अनुकूल है। आवश्यकता है हमे कृषको तक उचित तकनीकि एवं जानकारी ससमय उपलब्ध कराने की । मिलेट दिवस मनाये जाने के बारे मे कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. जी. एस. पंवार ने बताया कि कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के उद्यान महाविद्यालय मे किया जाना है, जिसका मुख्य उद्येश्य कदन्न फसलो पर कृषको के साथ-साथ आम जनमानस मे जागरूकता लायी जा सके। इस कार्यक्रम मे देश के इन फसलो पर शोध कर रहे नामचीन वैज्ञानिको का सानिध्य प्राप्त होगा।



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