अपनों के खोने का दर्द सभी को दुखी करता है:परायों का दुख दर्द बांटने के लिए हर दिन वृद्धाश्रम आती है छात्रा

 अपनों के खोने का दर्द सभी को दुखी कर देता है। कुछ लोग अपनोें के गम में हिम्मत हार जाते हैं। ऐसे हारे हुए बुजुर्गों का दुख और गम बांटने का काम कर रही है फुटेराकलां में रहने वाली पीजी कॉलेज की बीएससी सेकंड ईयर की छात्रा एकता जैन। जो हर दूसरे और तीसरे दिन वृद्धाश्रम आती है और बुजुर्गों के बीच बैठकर उनके सुख और दुख जानती है। कई बार जो बुजुर्ग महिलाएं ज्यादा दुखी होती हैं, उनका गम बांटने के लिए एकता उनके साथ बैठकर रोने तक लगती है। ताकि बुजुर्गों का दर्द कम हो जाए। यहीं कारण है कि आश्रम की महिलाओं से एकता का संबंध मां बेटी जैसा हो गया है।



एकता ने बताया कि आश्रम में रहने वाली महिलाओं और पुरुषों ने अपने होने के बाद भी उन्हें खो दिया है। सबकुछ खोने के बाद भी इनमें थोड़ी-थोड़ी खुशियां समेटने की चाहत रहती है, लेकिन परिवार दूर होने की वजह से वह चाहत इन्हें नहीं मिल पाती और अकेलापन इन्हें सताने लगता है। इनका अकेलापन दूर करने के लिए वह बुजुर्गों से रूबरू होने आती है और उनसे संवाद करती है।

अपने बच्चाें के किए माता-पिता कितना संघर्ष करते हैं...एकता ने बताया कि अपने बच्चाें के लिए माता-पिता कितना संघर्ष करते हैं और जब वह कुछ करने के काबिल हो जाते हैं तो वह उन्हें आश्रम में छोड़ देते हैं। आज के दौर में संतान ने अपने माता-पिता की इज्जत करना बंद कर दिया है। वे अपने सुख और पत्नी की खुशी के लिए माता-पिता को आश्रम भेज रहे हैं। वे भूल गए हैं कि आने वाले समय में उन्हें भी आश्रम में ही आना पड़ेगा।

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