दमोह पुलिस विभाग के बटियागढ़ थाने में कार्यरत एएसआई संतोष तिवारी (54) को जेम्स बांड के नाम से भी पहचाना जाता है। यह दमोह पुलिस के एक ऐसे पुलिसकर्मी हैं जो जासूस की तरह गुमशुदा हुए लोगों को देश के किसी भी कोने से खोज लाते हैं और उनके परिजनों के सुपुर्द कर देते हैं।
एएसआई संतोष तिवारी को पुलिस की नौकरी अनुकंपा नियुक्ति के रूप में मिली थी, क्योंकि उनके पिता पुलिस में थे लेकिन उनका निधन हो गया था। इसके बाद 14 साल की उम्र में वह कांस्टेबल बन गए थे।
पुलिस विभाग में आने के बाद ही एएसआई ने अपना एक अलग मुकाम बनाया। आज पुलिस महकमा किसी भी गुमशुदा व्यक्ति को खोजने के लिए सबसे पहले एएसआई संतोष तिवारी को ही बुलाता है। दमोह पुलिस को भी इस बात का भरोसा है कि उनका जेम्स बांड ही यह काम कर सकता है। वह देश के किसी भी कोने से लापता व्यक्ति को खोज कर ला सकता है।
लड़की का सौदा होने के पहले खोज निकाला
दमोह के ही रहने वाले दो नाबालिग किशोर, किशोरी आपस में प्रेम प्रसंग के चलते घर से भागकर मुंबई पहुंच गए थे। वहां किसी बदमाश के चंगुल में फंस गए थे। उस युवक के द्वारा लड़की को शिवपुरी के एक गांव भेज दिया गया। पता चला कि यह गांव अपराध में लिप्त है और यहां मानव तस्करी के कई मामले लोगों पर दर्ज हैं। यहां नाबालिग किशोरी का भी सौदा हो गया था और उसे बेचे जाने की ही प्रक्रिया रह गई थी। तभी एएसआई संतोष उस गांव पहुंचे और किशोरी को गांव से निकाल कर परिजनों के सुपुर्द कर दिया।
मानसिक बीमार को महाराष्ट्र से खोज कर लाए
दमोह का ही एक मानसिक तौर पर बीमार व्यक्ति महाराष्ट्र के नासिक में पहुंच गया था। उसका पता लगाते हुए वह नासिक पहुंचे और उसे खोज कर अपने साथ लाए। युवक ने थाने से भागने का प्रयास किया और वह भाग गया। बड़ी मुश्किल से उसे वापस पकड़ा तभी उसने एक हाथ में काट भी लिया। लेकिन एएसआई ने किसी भी प्रकार की परवाह नहीं की और मानसिक विक्षिप्त को फिर पकड़ लिया और दमोह लाकर परिजनों से मिलवाया।
वृंदावन में भजन करते युवक को खोजा
दमोह का ही एक युवक घर से लापता हो गया था। उसके परिजन हत्या के साथ ही पुलिस पर भी कई प्रकार के आरोप लगा रहे थे। तब एएसआई संतोष तिवारी खोजबीन करते हुए वृंदावन पहुंचे। वहां युवक भजन कर रहा था। जब उससे पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह घर से झगड़ा कर यहां आ गया था। इसके बाद उन्होंने उस युवक को उसके परिजनों से मिलवाया।
अभी तक संतोष तिवारी देश के कई राज्यों में गुमशुदा लोगों को खोज कर लाए हैं। इनमें दिल्ली, अहमदाबाद, नोएडा, महाराष्ट्र, बिलासपुर, पश्चिम बंगाल इसके अलावा और भी कई राज्य तथा शहर हैं जहां संतोष तिवारी पहुंचे हैं। और घर से गुमशुदा हुए लोगों को खोज कर उनके परिजनों से मिलवाया।
संतोष तिवारी ने कहा कि जब कोई व्यक्ति गुमशुदा हो जाए तो उसके परिजनों को इस बात की उम्मीद खत्म हो जाती है कि उनका घर का सदस्य अब दोबारा मिल पाएगा या नहीं। इसलिए वह अपने इस जुनून को पूरी शिद्दत के साथ निभाते हैं। घर से लापता हुए लोगों को हर हाल में खोज कर उनके परिजनों से मिलवाते हैं।
एएसआई संतोष तिवारी के छोटे भाई मुकेश तिवारी ने बताया कि बड़े भाई की इस उपलब्धि की जब चर्चा होती है तब उनका परिवार अपने बड़े बेटे पर नाज करता है, क्योंकि कोई इंसान गुम हो जाए तब उसका दर्द परिवार वाले ही समझते हैं। लेकिन बड़े भाई के प्रयास से 300 लोग आज अपने परिवार से मिल चुके हैं। यह वाकई एक सुखद अहसास है।
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