Banner

Lalitpur News: खेड़र नदी को मिलेगा पुनर्जीवन, हजारों लोगों को मिलेगा फायदा

 ललितपुर। देखरेख के अभाव में अपना स्वरूप खो चुकी खेड़र नदी को पुनर्जीवन मिलेगा। इसके लिए सर्वे किया जा रहा है। मनरेगा से इस नदी को पुराने स्वरूप में लौटाने के लिए काम होगा। इससे आसपास के 16 गांवों के हजारों लोगों को लाभ मिलेगा।



ब्लॉक जखौरा अंतर्गत ग्राम जैरवारा-टौरिया के बीच से खेड़र नदी का उद्गम होता है। यह नदी थनवारा, अंधियारी, सीरोंन कला, सतगता, सींरोन खुर्द, विनैका माफी, नगवास, जखौरा, घिसौली, बुंदेरो, बुधेड़ी, धुरवारा, कोटरा व राजपुर गांव के पास से होती हुई बेतवा नदी में मिलती है। नदी की लंबाई करीब 35 किलोमीटर है। देखरेख के अभाव में यह नदी कई-कई स्थानों पर अपना स्वरूप खो चुकी है। बड़ी-बड़ी झांडियों के साथ ऊबड़ खाबड़ जगह पानी के प्रवाह को प्रभावित करते हैं। पानी रोकने के लिए बनाए गए चेकडैम भी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। जिलाधिकारी आलोक सिंह के निर्देश पर नदी का सर्वे कराया जा रहा है।

अधिकारियों ने बताया खेड़र नदी के पुनर्जीवन के लिए खुदाई की जाएगी। इसके साथ छोटे-छोटे चेकडैम और घाट का निर्माण किया जाएगा। वहीं ग्रामीणों के आने जाने के लिए छोटी पुलिया निर्मित कराई जाएंगी। चेकडैम के माध्यम से बरसात के दिनों में नदी में बहने वाले पानी को रोका जा सकेगा। इस पानी का उपयोग किसान रबी सीजन में फसल सिंचाई में कर सकेंगे। सबकुछ ठीक रहा तो सर्वे के बाद गर्मी के सीजन में इस नदी पर काम होगा।

कटाव रोकने के लिए किनारों पर लगेंगे बांस के पेड़

नदी के दोनों ओर के किनारों को मजबूत किया जाएगा जिससे बरसात के दिनों में मिट्टी का कटाव न हो सके। इसके लिए दोनों किनारों पर बांस के पेड़ लगाए जाएंगे। बांस के पेड़ लगने से मिट्टी का कटाव तो रुकेगा, गांव के लोगों की आजीविका के लिए भी बांस उपयोगी रहेंगे।

नदी पर बने हैं दो पुल व दो रिपटा

खेड़र नदी पर ग्राम सीरोंन-मनगुवां मार्ग के बीच एक पुल बना है। वहीं जखौरा-सिरसी मार्ग पर रपटा है। जखौरा से बांसी जाने वाले सड़क मार्ग पर एक पुराना पुल बना हुआ है। वहीं जखौरा-तालबेहट मार्ग पर एक रपटा बना हुआ है। बरसात के दिनों में तो इस नदी में काफी मात्रा में पानी आता है। हाल यह रहता है कि इन रपटों और पुल पर करीब 5-6 फुट ऊपर तक पानी रहता है। इस कारण से इन सड़कों से आवागमन बंद हो जाता है और लोगों को वैकल्पिक मार्गों का सहारा लेना पड़ता है।

देखरेख के अभाव में जनपद की जीवनदायनी नदियां विलुप्त होती जा रही हैं। इन्हें पुनर्जीवित करने का काम कराया जा रहा है। ऐसी ही खेड़र नदी जोकि करीब 35 किलोमीटर लंबी है, उसका जीर्णोद्घार करने के लिए मनरेगा विभाग को सर्वे करने का निर्देश दिया है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ