महोबा। लाजवाब स्वाद और करारेपन के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध महोबा के देशावरी पान पर इस बार पाले की मार पड़ी है। एक पखवारे से पड़ रही भीषण ठंड और पाले से महोबा के पान की 60 फीसदी फसल बर्बाद हो गई है। पान किसानों को एक करोड़ का नुकसान हुआ है। बरेजों में पान काले पड़ने और मुरझा जाने से किसान परेशान है।
दो दशक पहले तक जिले में 500 एकड़ में खेती होती थी। महोबा का देशावरी पान पश्चिमी उत्तरप्रदेश व दिल्ली तक जाता है। महोबा के पान को नई पहचान दिलाने के लिए एक साल पहले जीआई टैग की सूची में शामिल किया गया था। इससे पान किसानों को उम्मीद जगी थी लेकिन पाले के कारण पान की खेती का दायरा 10 फीसदी ही बचा है।
राकेश, कल्लू, कृपाशंकर, भूूपेंद्र, पप्पू चौरसिया, गया प्रसाद, दिनेशचंद्र समेत 250 किसान पान की खेती कर रहे हैं। कोहरा और लगातार ठंड के कारण पाले से पान की फसल बर्बाद हो गई। लाखों रुपये खर्च कर तैयार किए गए बरेजों में लगे पान पाले से खराब होने जाने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है।
एनबीआरआई लखनऊ के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक रामसेवक चौरसिया का कहना है कि पाले से 60 फीसदी फसल बर्बाद हो गई है। पान के पत्ते काले पड़ने के साथ बेल भी खराब हुई है। पिछले वर्ष भी पान की खेती बर्बाद हुई थी। इसका आज तक कोई मुआवजा नहीं मिला। शासन-प्रशासन से मुआवजा दिलाने की मांग की जाएगी।
दिनेशचंद्र चौरसिया बताते हैं कि कोहरा व पाले से पान की फसल बर्बाद हो गई है। शासन-प्रशासन से इसका कोई मुआवजा नहीं मिलता। अब दोबारा बरेजा तैयार करना मुश्किल है। गया प्रसाद बताते हैं बरेजे में पान की बेहतर फसल लहलहा रही थी। पाले से बचाने के लिए प्रयास किए, लेकिन ठंड अधिक पड़ने से 60 फीसदी फसल चौपट हो गई। परिवार के भरण-पोषण की समस्या पैदा हो गई है।
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