मध्यप्रदेश के दमोह जिले में एक शिक्षक ने अधिकारी को धमकी दी थी। धमकी में शिक्षक ने अधिकारी के टुकड़े कर बोरी में भरकर फेंकने की बात कही थी। मामले में कार्रवाई करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी ने शिक्षक को निलंबित कर दिया है।पांच हजार लोगों की रोजी रोटी का बना साधन
गुड़ उत्पादन का कारोबार 5 हजार से अधिक लोगों की रोजी रोटी का जरिया भी बना गया है। पूरे सीजन लोगों को गुड़ बनाने वाली भट्टियां रोजगार उपलब्ध कराती हैं। गुड़ उत्पादक रामसिंह के अनुसार गुड़ बनाने के छोटे कोल्हू व भट्टी पर भी कम से कम 25 लोगों को रोजगार मिलता है। बड़ी भट्टी पर यह संख्या 45 तक पहुंच जाती है। जिले में लगभग 170 गुड़ बनाने की भटि्टयां संचालित हैं। इस हिसाब से 5 हजार से अधिक लोगों को गुड़ उत्पादन से रोजगार मिल रहा है। वहीं गोराघाट से सोनागिर तक हाइवे किनारे करीब 70 से 80 दुकानें भी संचालित होती है। जो स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का साधन है।
गुड़ से मुनाफा बढ़ा तो गन्ने का रकबा भी बढ़ने लगा
ग्राम उचाड़ में गन्ने की फसल बेचने गुड़ क्रेशर तक आने वाले किसानों ने बताया कि एक बीघा में करीब 100 से 130 क्विंटल तक गन्ने की पैदावार आसानी से हो जाती है। गन्ने की कीमत में भी इजाफा हुआ है। ऐसे में किसान को एक बीघा में सारा खर्चा काटने के बाद 30 हजार रुपये प्रति बीघा की कमाई हो जाती है। गन्ने का रकवा लगभग दोगुना होने का अंदाजा इसी आंकड़े से लगाया जा सकता है कि जब वर्ष 2018 में इस क्षेत्र में गन्ने का रकबा 5700 था जो वर्ष 2022-23 में 9460 हेक्टेयर हो गया।
एक जिला एक उत्पाद के लिए भी चुना गया गुड़
एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत दतिया जिले का प्रमुख उत्पाद गुड़ को चुना गया है। जिसके बाद गुड़ के प्रचार प्रसार को लेकर पूरा प्रशासन जुटा हुआ है। देश के हर राज्य तक दतिया के गुड़ की मिठास पहुंचे इसे लेकर बेहतर पैकिंग व मार्केटिंग शुरू की जा रही है। जिले के उद्योगपतियों व गन्ना उत्पादक कृषकों से भी इसे लेकर कलेक्टर संजय कुमार ने भी चर्चा की थी। एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत जिले में उन्नत किस्म के गन्ने की बंपर पैदावर को देखते हुए जिले को गुड़ हव के रूप में विकसित कर गुड़ निर्माण के क्षेत्र में जिले की पहचान बने इसे लेकर गोराघाट सहित अन्य क्षेत्रों का प्रशासनिक अधिकारियों की टीम ने भ्रमण भी किया था। प्रयास किए जा रहे हैं कि जिले के गन्ना किसानों व गुड़ उत्पादकों को गुड़ के बाहर निर्यात से बेहतर दाम मिले सकें।
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