ललितपुर। जिला अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में रक्त का अकाल हो गया है। रक्त कोष में ओ निगेटिव ग्रुप का रक्त नहीं है। वहीं पांच ग्रुप का एक-एक यूनिट और दो अन्य ग्रुप का दो और तीन यूनिट रक्त स्टॉक में है। 300 यूनिट रक्त की क्षमता वाले बैंक में महज 10 यूनिट ही रक्त बचा है। ऐसे में मरीजों की दिक्कत बढ़ रही है। बताया जाता है कि जिले के रक्तकोष में पांच साल में पहली बार ऐसी स्थिति बनी है। वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पिछले कुछ समय से रक्त की खपत बढ़ गई है। जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा।
जिला अस्पताल में बने रक्त कोष में 300 यूनिट रक्त रखने की क्षमता की सुविधा है। यहां से सामान्य दिनों में प्रतिदिन लगभग 10 से 12 यूनिट रक्त मरीजों को दिया जाता है। हर महीने 12 से 15 मरीज थैलीसीमिया के आते हैं और हर महीने 20 यूनिट रक्त प्रसूताओं के लिए दिया जाता है। मगर बीते 10 दिन से रक्त की मांग बढ़ गई है। चिकित्सकों की मानें तो इन दिनों पीलिया, प्लेटलेट्स कम होने के मामले अधिक सामने आ रहे हैं। अब प्रतिदिन 20 से 25 यूनिट रक्त मरीजों को दिया जा रहा है।
ऐसे में स्टॉक में रक्त कम हो रहा है। मौजूदा समय में रक्तकोष में महज दस यूनिट रक्त ही बचा है। ऐसे में स्टॉक खत्म होता है, तो दुर्घटना समेत अन्य सभी प्रकार के मरीजों के लिए रक्त के लिए दिक्कत होगी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि रक्त कोष बढ़ाने के लिए समाजसेवी संस्थाओं को रक्तदान शिविर लगाने के लिए जागरुक किया जा रहा है।
इन्हें दिया जाता नि:शुल्क ब्लड
रक्तकोष से जननी सुरक्षा योजना व थैलीसीमिया, कैंसर आदि के मरीजों को नि:शुल्क रक्त उपलब्ध कराया जाता है। इस तरह प्रतिमाह में लगभग 20 यूनिट रक्त बिना रक्तदान किए ही दिया जाता है।
झांसी तक होती थी पूर्ति
जिले में लगातार रक्तदान शिविर आयोजित होने से रक्तकोष में क्षमता से अधिक रक्त हो जाता था। जिस रक्त को झांसी को दिया जाता था। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक प्रतिमाह लगभग 15 यूनिट रक्त झांसी जाता था। मगर अब रक्तकोष को ही रक्त की जरूरत है।
वर्तमान में यह है रक्तकोष में स्थित
ए पॉजिटिव - एक यूनिट
बी पॉजिटिव - दो यूनिट
ओ पॉजिटिव - तीन यूनिट
एबी पॉजिटिव - एक यूनिट
ए निगेटिव - एक यूनिट
बी निगेटिव - एक यूनिट
ओ निगेटिव - शून्य
एबी निगेटिव - एक यूनिट
जनवरी माह में कम शिविर लगने से रक्त की कमी हो गई है। साथ ही कार्ड से अधिक रक्त दिया गया है। इस माह शिविर लगाकर रक्त की उपलब्धता बढ़ाई जाएगी।- डॉ. एमएस राजपूत, नोडल अधिकारी, रक्तकोष
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