राजधानी की सबसे बड़ी जीवदया गोशाला में नगर निगम ने सालभर में कुल 2,292 गोवंश भेजे। ये आंकड़ा बाकी 5 गोशालाओं की तुलना में कई गुना ज्यादा है। निगम की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। शव-कंकालों के ढेर की वजह से यह गोशाला सुर्खियों में है। जिसकी रिपोर्ट संभवत: शुक्रवार को सामने आएगी। हालांकि, जांच से पहले ही गो-संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी क्लीन चिट दे चुके हैं।
नगर निगम ने वर्ष 2022 में सालभर में छह गोशालाओं में कुल 3,769 गोवंश भेजे। इनके आंकड़ों की जब पड़ताल की गई तो सबसे ज्यादा गोवंश भदभदा स्थित जीवदया गोशाला में ही भेजे गए हैं। इसके अलावा कृष्ण गोपाल गोशाला डुगरिया गोहरगंज रायसेन, सेवा भारती बराई बैरसिया, नंदनी गोशाला भदभदा केरवा रोड, महामृत्युंजय गोशाला कोकता और गोपाल कृष्ण गोशाला मंडीदीप रायसेन में गोवंश भेजे गए। जीवदया गोशाला में सालभर में कुल 89 बार गोवंश भेजे गए हैं।
जीवदया गोशाला में नगर निगम ने पिछले एक साल में सबसे ज्यादा पशु भेजे। इसी गोशाला का मामला सुर्खियों में है।
जीवदया गोशाला में नगर निगम ने पिछले एक साल में सबसे ज्यादा पशु भेजे। इसी गोशाला का मामला सुर्खियों में है।
निगम से मांगी थी जानकारी
पशु चिकित्सा विभाग ने 31 जनवरी को नगर निगम से यह जानकारी मांगी गई थी। जिसमें पूछा गया था कि गोशालाओं में कब-कितने पशु भेजे गए।
इन गोशालाओं में भेजे गए पशु
जीवदया गोशाला-2,292
श्री कृष्ण गोपाल-836
सेवा भारती गोशाला-60
नंदनी गोशाला-61
महामृत्युंजय गोशाला-421
गोपाल कृष्ण गोशाला-69
निगम ने कहा- स्वस्थ्य होने के बाद गोशाला में भेजते हैं
गो-संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने एक दिन पहले ही गोशाला को क्लीन चिट दी थी। उन्होंने कहा था कि नगर निगम के ठेकेदार गोशाला से कुछ दूर गोवंश के शव फेंक जाते हैं, जबकि हमने अफसरों से कहा है कि गोवंश को भूमि समाधि दी जाए, उनकी चीरा-फाड़ी न की जाए। निगम द्वारा लाई जाने वाली गायें पॉलीथिन खाकर आती है। कुछ दिन बाद उनकी मौत हो जाती है।
इधर, निगम के भी अपने तर्क है। पशु चिकित्सा विभाग को सौंपी गई रिपोर्ट में निगम अफसरों का कहना है कि आवारा पशुओं को निगम पकड़कर कांजी हाउस में ले जाता है। जिन पशुओं को उनके मालिक कांजी हाउस से नहीं छुड़ाते, उन्हें नियमानुसार 15 दिन के बाद गोशाला में भेजने का नियम है। इसके चलते जहांगीराबाद स्थित पशु आश्रय गृह से स्वस्थ्य होने के बाद पशु गोशाला में भेजते हैं।
गोशाला के मामले में गो-संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी क्लीन चिट दे चुके हैं। गोशाला की विस्तृत रिपोर्ट संभवत: शुक्रवार को आएगी।
गोशाला के मामले में गो-संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी क्लीन चिट दे चुके हैं। गोशाला की विस्तृत रिपोर्ट संभवत: शुक्रवार को आएगी।
अब गोशालाओं ने पशु लेने से मना किया
जीवदया गोशाला के मामले के बाद अन्य गोशालाओं ने नगर निगम से पशु लेने से इनकार कर दिया है। इसे लेकर निगम ने पशु चिकित्सा सेवाएं के संयुक्त संचालक को लेटर भी लिखा है। जिसमें गोशाला संचालकों को पशु लेने के लिए निर्देश देने की बात कही गई है।
जांच रिपोर्ट आज आएगी, क्लीन चिट की संभावना
जीव दया गोशाला में गायों की मौत के मामले में विभाग ने सात सदस्यीय टीम बनाई थी। पिछले तीन दिन से टीम जांच करती रही। गुरुवार को भी टीम मौके पर पहुंची थी और जांच की। संभवत: शुक्रवार को जांच रिपोर्ट विभाग को सौंप दी जाएगी। बताया जाता है कि जांच में निगम की लापरवाही सामने आई है, क्योंकि गोशाला से कुछ दूर निगम के ठेकेदार ने गोवंश के शव और कंकाल फेंके थे। हालांकि, जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद तस्वीर साफ होगी।
यों की मौत और कंकाल मिलने के मामले में कांग्रेसी मैदान में उतर गए। उन्होंने गो-संवर्धन बोर्ड के ऑफिस के बाहर प्रदर्शन भी किया। साथ ही जांच की मांग की।
गायों की मौत और कंकाल मिलने के मामले में कांग्रेसी मैदान में उतर गए। उन्होंने गो-संवर्धन बोर्ड के ऑफिस के बाहर प्रदर्शन भी किया। साथ ही जांच की मांग की।
एमपी में 1687 गोशालाओं में ढाई लाख गोवंश
मध्यप्रदेश में सरकारी और प्राइवेट मिलाकर कुल 1687 गोशाला है। इनमें करीब ढाई लाख गोवंश हैं। गोशालाओं को सरकार से 131.84 करोड़ रुपए अनुदान मिला है। ये राशि 28 दिसंबर 2022 को जारी हुई थी। प्रति गोवंश राशि 20 रुपए जारी होती है। इस मुद्दे पर कांग्रेस भी सरकार पर हमलावर हो गई है। आरोप लगाया कि गोमाता की भाजपा सरकार में भूख-प्यास से तड़पकर मौत हो रही है। इससे पहले भी बैरसिया (भोपाल) में भाजपा नेत्री निर्मला देवी शांडिल्य की गोशाला में भी सैकड़ों गायों की मौत हुई थी।
FIR होने के बाद भी भाजपा नेत्री की गिरफ्तारी नहीं हुई। इसे लेकर गुरुवार को भी कांग्रेसियों ने गो-संवर्धन बोर्ड ऑफिस में पहुंचकर विरोध जताया था। कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता, संगीता शर्मा, अवनीश भार्गव आदि ने जांच और दोषियों पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है। इसे लेकर उनकी अफसरों से जमकर नोंकझोंक भी हुई थी।
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