चित्रकूट श्री दक्षिणाय श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर श्रीमद्जगतगुरु शंकराचार्य जी द्वारा अनुगृहीत योगानंदेश्वर पीठाधिपति कर्नाटक एवं वेदांत भारती के संरक्षक शंकरभारती महास्वामी महाराज अपने दो दिवसीय प्रवास पर चित्रकूटधाम पधारे।
अयोध्या से चलकर प्रयागराज होते हुए चित्रकूटधाम पधारे स्वामी ने इस दौरान दीनदयाल शोध संस्थान के आरोग्यधाम में संस्थान के सभी कार्यकर्ताओं को आशीर्वचन भी प्राप्त हुआ। शंकर भारती महास्वामी महाराज मठाधिपति यडतोरे योगानन्देश्वर सरस्वती मठ, कर्नाटक ने अपने उद्बोधन में कहा कि ज्ञान शब्द का अर्थ महान एवं व्यापक है। ज्ञान परंपरा हमारी संस्कृति का स्वरूप है।
आदि शंकराचार्य ने ज्ञान परंपरा की जो व्यवस्था दी है। उसमें सर्व मंगल एवं सच्चिदानंद का भाव निहित है। राष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता एवं अखंडता को अक्षुण्ण रखने के उद्देश्य से आदि शंकराचार्य ने भारतीय ज्ञान परंपरा को स्थापित करने के लिए देश के चारों हिस्सों उत्तर, दक्षिण, पूर्व एवं पश्चिम में मठों की स्थापना की।
आध्यात्मिक एकता के लिए किया प्रेरित
इसके साथ ही उन्होंने समाज में बाह्य, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक एकता के लिए भी प्रेरित किया। शंकरभारती महास्वामी ने कहा कि अयोध्या नगरी सम्पूर्ण विश्व की आध्यात्मिक राजधानी बनने वाली है। इसके लिए उस तीर्थ क्षेत्र में आदि गुरु शंकराचार्य के जीवन चरित्र पर आधारित ज्ञान, बोध एवं संस्कृति का बड़ा केन्द्र बने। ऐसे ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय और राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख के समाज जीवन के प्रयोगों से पाथेय प्राप्त करके युवा पीढ़ी उसका अनुसरण करे।
एकात्मवाद के पालन का आग्रह
इस प्रकार से जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा भारतीय सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना की गई थी। उसी अनुरुप इस तरह के केन्द्रों से मार्गदर्शन प्राप्त करके हम भारत को पुनः विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित कर पाएंगे। महास्वामी ने सभी को आग्रह पूर्वक एकात्मवाद का पालन करने व प्रचार-प्रसार करने हेतु आग्रह किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में एकात्मवाद के तीनों स्वरूपों, (प्रथम) बाह्य रूप, (द्वितीय) व्यवहारिक रूप व (तृतीय) आध्यात्मिक रूप को उल्लेखित करते हुए विस्तृत चर्चा की और सभी उपस्थित लोगों से आध्यात्मिक रूप को एकरूपता से प्रचारित और प्रसारित करने हेतु विशेष ध्यान देने हेतु आग्रह किया।
हम भारत में लाएंगे एकरूपता
उन्होंने कहा कि ऐसा करने से ही हम भारत में एकरूपता ला पाएंगे। स्वामी ने गुरुवार को दीनदयाल शोध संस्थान के राम दर्शन प्रकल्प का भी भ्रमण किया। इस मौके पर स्वामी महाराज को शॉल, श्रीफल एवं पुष्प अंकित कर उनका सर्वस्वत अभिनंदन दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन ने किया। महाजन ने महाराज को राम दर्शन पेंटिंग एवं राष्ट्र ऋषि नानाजी के जीवन पर आधारित पुस्तक भी भेंट की।
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