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धर्म:बच्चे भटक जाएं तो रावण बनने में देर नहीं लगती: मुनिश्री

 बच्चे गीली मिट्टी के समान होते हैं, जिस आकार में ढाल दो, उसी आकार में ढल जाएंगे। बच्चों को अगर सही दिशा मिल जाए तो वही बच्चे आने वाले समय में भगवान महावीर, श्रीराम बन सकते हैं और अगर भटक जाएं तो रावण बनने में भी देर नहीं लगती। बिना शिक्षा के जीवन का कोई महत्व नहीं होता। बच्चे मां बाप के सपने होते हैं और गौरव होते हैं।



मां बाप मजदूरी करके अपने बच्चों को पढ़ाते लिखाते हैं कि हमारा बच्चा आगे चल कर योग्य बने, धर्म संस्कृति और देश में नाम रोशन करे। अपने मां बाप के सपनों को तोड़ना नहीं चाहिए। शिक्षक भी बच्चों को सिर्फ कागजी पढ़ाई की शिक्षा न दें बल्कि धर्म व संस्कारों की भी शिक्षा दें। यह बात श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज ने गुरुवार को सोनागिर में आयोजित 16 मंडलीय सिद्धचक्र महामंडल विधान में धर्मसभा में कही।

मुनिश्री ने कहा कि धर्म गुरुओं द्वारा दी गई धर्मिका संस्कारों की शिक्षा बच्चों के भविष्य में बहुत काम आती है। इंसान को एक अच्छा व्यक्ति बनने के लिए हजारों गुण चाहिए होते हैं, लेकिन भविष्य बिगाड़ने के लिए एक अवगुण ही काफी है। बच्चे स्कूल में ही अपने भविष्य का निर्णय लेते हैं, बच्चा जब स्कूल जाता हैं तो मां टिफिन में एक पराठा रख दिया करती हैं कि भूख लगेगी तो खा लेगा। लेकिन वही मां जब बूढ़ी हो जाती है तो वह भूखी सोया करती है।

संतो का हुआ भव्य वात्सल मिलन: आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री 108 आगम सागर जी महाराज एवं मुनि श्री 108 पुण्य सागर जी महाराज का मिलन गणाआचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री 108 विनयसागर जी महाराज से भव्य मिलन सोनागिरी में हुआ।

महोत्सव में इंद्रा-इंद्राणियों ने मिलकर 64 अर्ध्य किए समर्पित: विधान में मुनिश्री विनय सागर महाराज के सानिध्य में इंद्रा-इंद्राणियों ने पीले वस्त्र धारण कर सिर पर मुकुट गले में माला पहनकर भक्ति भाव के साथ पूजा आर्चन कर सिद्धप्रभू की आराधना भक्ति के 64 महाअर्घ जिनेन्द्र देव के सामने समर्पित किए गए।

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