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प्रधानमंत्री सम्मान निधि हजारों किसानों के गले की फांस बनी

झांसी। पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आरंभ की गई प्रधानमंत्री सम्मान निधि की रकम हजारों किसानों के गले की फांस बन चुकी है। शुरु में सरकार ने सभी किसानों के खाते में यह रकम भेज दी लेकिन, बाद में इसके कई नियम-कायदे बना दिए। अब इन नियमों में जनपद के कुल 3747 किसान फंस गए। यह किसान अब तक करीब 56.58 लाख रुपये सरकार को लौटा चुके। अभी किसानों पर कुल 195.62 लाख बकाया है।


                            


केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में पीएम किसान सम्मान निधि आरंभ की थी। इसके जरिए किसानों को सालाना 6000 रुपये मिलते हैं। योजना आरंभ किए जाने के समय किसानों के लिए आय सीमा तय नहीं थी। दो साल तक जनपद के किसानों को पीएम सम्मान निधि मिलती रही। अब तक उनको 13 किस्त दी जा चुकीं हैं। 

कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जनपद के 253123 किसानों को पीएम सम्मान निधि की किस्त दी गई। सरकार ने इनके बीच कुल 535.80 करोड़ रुपये वितरित किए लेकिन, वर्ष 2021 से आयकर विवरण जमा करने वाले किसानों को इससे बाहर कर दिया गया। इस नियम के लागू होने के बाद से सरकार ने 3747 किसानों से सम्मान निधि का पैसा वापस मांगना शुरू कर दिया। इससे इन किसानें में खलबली मच गई। 

किसानों के घर नोटिस पहुंचना शुरू हो गई। लेखपाल एवं तहसीलदार ने भी गांव के चक्कर काटने शुरू कर दिए। इससे परेशान होकर अब तक 657 किसानों ने सरकार को यह रकम लौटा दी। वहीं, कृषि अफसरों का कहना है 195.62 लाख रुपये की वसूली की जानी है। अभी तक सिर्फ 56.58 लाख रुपये ही वसूल हो सके हैं। उपनिदेशक कृषि महेंद्र पाल सिंह का कहना है कि सम्मान निधि से बाहर रहने वाले किसानों को नोटिस भेजी जा रही है।

Source: Amar Ujala 

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