सुश्री हेमलता शर्मा ‘भोली बेन’ का जन्म 19 दिसंबर 1977 को शाजापुर जिले की एक छोटी-सी तहसील आगर-मालवा मे हुआ था । वर्तमान में आगर-मालवा जिला बना दिया गया है। आपके पिता का नाम श्री श्रीकृष्ण शर्मा और माता का नाम श्रीमती इंदिरा शर्मा है।
कार्यक्षेत्र- वर्तमान में लेखिका सहायक संचालक वित्त, कोष एवं लेखा के पद पर इंदौर में द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत है । इससे पूर्व सहायक संचालक जनसंपर्क के रूप में कार्य कर चुकी हैं । अपणो मालवो संस्था की संस्थापक अध्यक्ष एवं मालवी निमाड़ी साहित्य शोध संस्थान की सचिव के रूप में कार्यरत हैं।
हिन्दी एवं मालवी में लेखन कार्य करती हैं । लेखन विधा में कविता, आलेख, व्यंग्य, संस्मरण, कहानियां, उपन्यास और लघुकथा लिखती हैं । साथ ही 1993 से लेखन कार्य कर रही हैं। मध्य प्रदेश संदेश, अभिव्यक्ति जैसी शासकीय पत्रिकाओं एवं दैनिक भास्कर, पत्रिका, नई दुनिया, अमर उजाला, हरियाणा प्रदीप, इंदौर समाचार, पुस्तक संस्कृति, ककसाड़ जैसे राष्ट्रीय प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपके आलेख एवं कविताएं, व्यंग्य, कहानियां, लघुकथा एवं मालवी रचनाएं निरंतर प्रकाशित हो रही हैं।
इन्हें हाल ही में राष्ट्रीय मालवी भाषा सम्मान-2021, मालव रत्न अलंकरण-2021 मालवी संरक्षण सम्मान 2022″ लोक भाषा कृति हेतु साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश से कृति सम्मान,2018 से सम्मानित किया गया है ।साथ ही “लोक साहित्य रत्न” एवं “मालव रत्न अलंकरण” का सम्मान प्राप्त हुआ है ।
हाल ही में प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जी के उपन्यास एवं प्रसिद्ध लघुकथाकार डॉ योगेन्द्रनाथ शुक्ल की लघुकथाओं का मालवी बोली में अनुवाद कार्य किया है । मालवा जन समुदाय द्वारा आपको मालवा की शान एवं भोली बेन के तखल्लुस से सम्मानित किया जा चुका है । आपके लेखन का उद्देश्य मातृभाषा हिंदी एवं मालवी बोली का प्रचार-प्रसार करना है। आपकी अभी तक कुल 6 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है जिनमें मालवी बोली की 5 कृतियां- मालवी डब्ल्यो(काव्य संग्रह) मालवी लोकोक्तियां एवं मुहावरे, किनारा की खोज, संजा पर्व-मालवी लोक परंपरा, मालवी-हिंदी लघुकथाएं, हिन्दी की एक कृति- मेरी हिन्दी कविताएं और 21 सांझा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं । तीन पुस्तक प्रकाशनाधीन है।
राष्ट्रीय सुरभि साहित्य संस्कृति अकादमी से उत्कृष्ट कवियित्री, हिंदी रक्षक मंच, अग्रसर हिंदी साहित्य मंच जोधपुर राजस्थान से उत्कृष्ट समीक्षक सहित विभिन्न सामाजिक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मान प्राप्त हो चुके हैं । शासकीय क्षेत्र में भी उत्कृष्ट कार्य हेतु तीन बार सम्मानित किया जा चुका है।
विशेष उपलब्धि-
मध्य प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग से चयनित आगर मालवा जिले की प्रथम प्रशासनिक अधिकारी, विभिन्न अवसरों पर मंच संचालन, अध्यक्षता थिएटर के कलाकार के रूप में मालवी बोली के प्रचार-प्रसार हेतु अपणो मालवो एवं मालवी निमाड़ी साहित्य एवं शोध संस्थान के माध्यम से प्रचार-प्रसार एवं आनंदक के रूप में विभिन्न सामाजिक- साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से समाज सेवा एवं जनकल्याण कार्यों में भागीदारी करना है ।
शीर्षक- मालवी बाल साहित्य की बात ही अलग है।
देश का हृदय स्थल मध्य प्रदेश को कहा जाता है, और मध्य प्रदेश का हृदय स्थल मालवा को माना जाता है । मध्य प्रदेश के लगभग एक तिहाई हिस्से पर आच्छादित मालवांचल सम जलवायु के लिए जाना जाता है । मालवा में लगभग दो करोड़ आबादी निवास करती हैं और इसकी लगभग आधी बाल आबादी समझ लीजिए तो इतनी सारी बाल आबादी के लिए नाना प्रकार के खेल और साहित्य की परंपरा भी पुरानी ही है । मालवी में बचपन की मस्ती की बात ही अलग है यूं तो मालवांचल बहुत सारी नायाब चीजों को अपने में समाहित किए हुए हैं किंतु आज बात कर रहे हैं बाल साहित्य की ।
मालवा अंचल में बच्चों के लिए बहुत सारे खेल प्रचलित हैं किंतु उसमें लड़कों के खेल अलग हैं जैसे गिल्ली डंडा, अंटी (कंचे) खेलना, सितोलिया, क्रिकेट । इसी प्रकार लड़कियां पव्वा, लंगडी, रस्सी कूद, नदी पहाड़ आदि खेल खेलते हैं और कई खेल इस प्रकार के भी हैं जो लड़के और लड़कियां मिलकर खेलते हैं जैसे- छिपमछाई, पकड़म पाटी, चंगपो, चौपड़, घोड़ा बदाम छई और पोशम्बा । मालवी साहित्य में इन खेलों को भी बहुतायत में स्थान दिया गया है हालांकि मालवी में प्रकाशित साहित्य की मात्रा अत्यंत कम है, किंतु मालवांचल के कतिपय मालवी कवि, लेखक आदि ने अपने लेखन में इन खेलों को सम्मिलित किया है तभी तो-
सर्वाधिक प्रभाव टीवी और मोबाइल ने बच्चों के मस्तिष्क पर छोड़ा । पहले के जमाने में बड़े बुजुर्ग दादी-नानी बच्चों को पंचतंत्र की कहानियां सुनाते थे और पशु-पक्षी के माध्यम से उनको शिक्षा प्रदान करते थे । उन कहानियों में चीकू खरगोश, हाथी दादा, बंदर मामा आदि चरित्र होते थे साथ ही परियां और बड़े -बड़े नाखूनों वाली चुड़ैल होती थी राजा रानी की कथाएं होती थी जिनको बच्चे बड़े चाव से सुनते थे और मनोरंजन के साथ ही शिक्षा भी प्राप्त कर लेते थे, किंतु अब समय परिवर्तित हो गया है ।
टीवी कंप्यूटर ने बाल साहित्य का स्वरूप पूर्ण तरह बदल दिया है बच्चों के खेलकूद में अब वीडियो गेम और कार्टून सम्मिलित हो गए हैं दिनभर टीवी और कंप्यूटर के सामने बैठे रहते हैं और उछलकूद करना बिल्कुल ही भूल गए हैं । एंड्राइड मोबाइल फोन में तो इस स्थिति को और भी विपरीत कर दिया है । बाल साहित्यकारों ने भी ऐसी ही कविताएं बनानी शुरू कर दी है ।
दरअसल बाल कविता किस्से कहानियों का उद्देश्य मात्र बच्चों का मन बहलाना नहीं होता बल्कि उनके व्यक्तित्व को परिपक्व बनाना उनको नैतिक शिक्षा प्रदान करना , अच्छे बुरे का ज्ञान कराना भी अति आवश्यक है क्योंकि बच्चे देश का भविष्य हैं । उनको बचपन से ही वीर महापुरुषों की कहानियां आदि सुनाने से उनके चरित्र का निर्माण होगा और वे आगे चलकर देश का निर्माण करेंगे इससे उनमें अच्छे संस्कार भी जागृत होंगे अतः बाल साहित्य ऐसा होना चाहिए जो बच्चों को संस्कारी बनाने के साथ ही उनके चरित्र को मजबूत बनावे ताकि वह देश के अच्छे नागरिक बन सकें ।
एक सर्वोत्तम बाल साहित्य में इन बातों का होना अति आवश्यक है । पौराणिक कथाएं जैसे- कृष्ण- सुदामा प्रहलाद श्रवण कुमार आदि के साथ ही ज्ञान बढ़ाने वाली जानकारी ज्ञान विज्ञान की बात भी होनी चाहिए तो बाल जासूसी उपन्यासों के जरिए उनको रहस्य और रोमांच का आनंद भी मिलना चाहिए इसी के साथ देश के महापुरुषों की जीवनी उन पर आधारित कथाएं आदि को सम्मिलित करना चाहिए इसके अतिरिक्त पर्यावरण और जंगल में रहने वाले पशु पक्षी और पालतू जानवरों को की जानकारी भी उनको मिली चाहिए बाल साहित्य ऐसा होना चाहिए जो बच्चों की जिज्ञासा को शांत कर सके।
आज कल के बाल साहित्यकार का ध्यान इस ओर बिल्कुल नहीं है साथ ही शिक्षा पद्धति में भी आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता प्रतीत होती है । हालांकि वर्तमान समय में सरकार मातृभाषा की वकालत कर रही है । नवीन शिक्षा नीति में भी परिवर्तन किया जा रहा है । यह अत्यंत प्रसन्नता दायक सूचना है अभी हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अंग राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने मालवी -निमाड़ी भाषा में पुस्तकों का अनुवाद कार्य करवाया था । मैंने भी दो पुस्तकों का अनुवाद किया है । इस प्रकार के प्रयास अवश्य ही बाल साहित्य की तरफ बच्चों को आकर्षित करेंगे साथ ही उनके विकास में भी योगदान देंगे ।
प्रकाशित पुस्तकें
साझा संकलन
27- भारत माता अभिनंदन सम्मान -2021
28- इंडियन बेस्टिज अवार्ड 2021- भव्या इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा ।
29- अटल श्री काव्य सम्मान- 2021.
30- सतनामी साहित्य सेवा सम्मान, 2021
31- राष्ट्रीय मालवी भाषा सम्मान 2021
32- महारथी सम्मान- 2022
33- संत कबीर स्मृति सम्मान-2022
34- साहित्य सारथी सम्मान-2022
35- मालवी संरक्षण सम्मान-2022
36- संत पीपा स्मृति प्रादेशिक पुरस्कार, 2018 (साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश शासन)
37- गांधी-शास्त्री सम्मान -2022
38- साहित्य भूषण सम्मान- 2022 (हिन्दी अकादमी मुंबई द्वारा)
39-राष्ट्रीय भाषा समागम सम्मान-2023 (मालवी लोकभाषा पर शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए )- जी.टी. रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड मैनेजमेंट बैंगलोर एवं भारत उत्थान न्यास कानपुर द्वारा द्वारा
40-सरोजिनी नायडू सम्मान -2023- भारतीय गौरव साहित्यिक सांस्कृतिक संस्थान गोरखपुर एवं काव्यात्मक आभूषण अभिव्यक्ति मंच लखनऊ द्वारा
41-नेपाल-भारत साहित्य सेतु सम्मान 2023 (क्रांति धरा साहित्य अकादमी, मेरठ द्वारा)
42- कृति कुसुम सम्मान-2023(संभागीय पुस्तकालय संघ, इंदौर द्वारा)
SOURCE: BUNDELI JHALAK
0 टिप्पणियाँ