शहर की जीवन रेखा मानी जाने वाली साढ़े तीन किमी की घंटाघर-गोविंद सागर बांध सड़क की हालत खस्ता है। सड़क की मरम्मत के लिए चार साल पहले शासन को 24 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया लेकिन जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते बात आगे नहीं बढ़ सकी। माननीयों की बेरुखी का आलम यह है कि कार्ययोजना तो तैयार हो गई, लेकिन स्वीकृति नहीं मिल पाई है। इस देरी का का नुकसान यह भी है कि सड़क की मरम्मत भी नहीं हो रही है।
विधानसभा चुनाव में भी इस सड़क के निर्माण व दोहरीकरण का मुद्दा काफी गरमाया रहा। भाजपा प्रत्याशी व नेताओं ने जल्द ही सड़क निर्माण का आश्वासन दिया था। अभी तक इस सड़क को शासन से मंजूरी नहीं मिल पाई है। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों के पहल न करने के कारण ही स्वीकृति नहीं मिल पा रही है।
पत्राचार किया गया है, जल्द ही धनराशि शासन से स्वीकृत हो जाएगी। - रामरतन कुशवाहा, सदर विधायक
साभार : अमर उजाला
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