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स्वतंत्रता संग्राम की दीपशिखा झलकारी बाई जयंती पर काव्य गोष्ठी हुयी आयोजित

स्वतंत्रता संग्राम की दीपशिखा झलकारी बाई जयंती पर काव्य गोष्ठी हुयी आयोजित

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महोबा। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम दीपशिखा वीरागंना झलकारी बाई की पूूूर्व संध्या पर डा. एलसी अनुरागी के आवास पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता शिवकुमार गोस्वामी ने की साहित्यकार प्रमोद सक्सेना ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। उन्होंने शानदार रचना करूणा, दया, व प्रेम लगाती है बेटियां, सदभाव संस्कार निभाती है बेटियां प्रस्तुत की।

प्रधानाचार्य सरगम खरे ने सुनो, सुनो ओ भारत वासी झलकारी की अमर खानी, रण में रणचंडी बन गरजी ऐसी थी वो मर्दानी प्रस्तुत की। लखन लाल चौरसिया ने झलकारी की वीरता पर पंक्तिया प्रस्तुत की। डा. एलसी अनुरागी ने झलकारी विश्वविघालय बनाये जाने, बिटियन खां खूब पढ़ाने, जन-जन को समझाने है, रचना प्रस्तुत की। हरी शंकर नायक ने भी बुन्देलखण्ड (Bundelkhand) की वीरागना झलकारी के बारे में अपने विचार व्यक्त किये। आकाशवाणी छतरपुर के लघु कथाकार बलवीर वैश्य ने लघु कथा, भितरघात के माध्यम से झलकारी की वीरता पर प्रकाश डाला। साध्वी सुनीता अनुरागी ने रचना प्रस्तुत की।

दयाशंकर राठौर ने भी झलकारी के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला। पूर्व प्रधानाचार्य शिवकुमार गोस्वामी ने कहां कि वीरागंना झलकारी के सम्मान में बेटियांे की शिक्षा के लिए निःशुल्क पुस्तकालय खुलना चाहिए। इरेन्द्र बाबू अनुरागी ने झलकारी बाई सेवा समिति के प्रबंधक ने कहां कि, 1857 की क्रांति में महारानी लक्ष्मीबाई का साथ देकर उनके प्रांण बचायें और अपना मातृ भूमि के प्रति कर्तव्य निभाया, उन्होंने कहां कि झलकारी की स्मृति में कीरत सागर तिराहें पर झलकारी गेट बनना चाहिए। अंत में एलसी अनुरागी ने सभी कवियों का अभार व्यक्त किया, और कहां कि गोष्ठी का प्रसारण आकाशवाणी छतरपुर से 22 नवम्बर को प्रातः 9ः30 बजे होगा ।

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