Jhansi: इंद्रेश कुमार बोले, राहुल गांधी की बोली में न सभ्यता, न ही दिखती है संस्कृति
भारतीय सद्भावना मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार ने कहा कि देशवासियों की आम धारणा है कि राहुल गांधी के बोलने में जो सभ्यता और संस्कृति नजर आनी चाहिए, वो नहीं दिखती। वहीं उन्होंने कहा कि सपा सांसद इस देश में न तो धर्मनिरपेक्षता और न ही लोकतंत्र के लिए काम करते हैं।
प्रधानमंत्री पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष द्वारा की गई टिप्पणी पर भारतीय सद्भावना मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार ने कहा कि देशवासियों की आम धारणा है कि राहुल गांधी के बोलने में जो सभ्यता और संस्कृति नजर आनी चाहिए, वो नहीं दिखती। देश के सभी नेताओं से अपील है कि कोई भी किसी के प्रति अभद्र टिप्पणी न करें। क्योंकि, बड़ों को छोटों को सिखाना होता है, न की उन्हें बदतमीज बनाना। बृहस्पतिवार को वह निजी होटल में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
हलाल बैन का विरोध करने वाले शफीकुर्रहमान बर्क को लेकर इंद्रेश कुमार ने कहा कि सपा सांसद इस देश में न तो धर्मनिरपेक्षता और न ही लोकतंत्र के लिए काम करते हैं। बुजुर्ग होने के नाते उन्हें देश में शांति फैलाने, भाई चारा लाने के लिए काम करना चाहिए। ईश्वर से प्रार्थना करूंगा की कि उन्हें सद्बुद्धि आए।
एक सवाल के जवाब में बोले कि संप्रदाय विशेष के लोगों को डराया, धमकाया गया था कि बीजेपी सत्ता में आएगी तो कत्लेआम होगा। मगर 10 साल में लोगों ने देख लिया है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। सरकार की जो भी योजनाएं शुरू हुईं, उसमें किसी भी प्रकार का जाति, धर्म, भाषा और दल भेद नहीं है।
आगे कहा योजना का लाभ हर गरीब को मिल रहा है। अब जनता समझने लगी है कि बांटने और लड़ाने का काम करने वाली ताकतें, न उनकी तालीम चाहती हैं और न ही तरक्की। वो सिर्फ वोट लेकर कुर्सी चाहते हैं। आने वाला कल देश के वोट पैटर्न को बदलेगा। मजहब, जाति के नाम पर बांटने वाली ताकतें पराजित होंगी।
फिलिस्तीन देश है, तो शांति है। मगर जब वह देश हमास का चेहरा ओढ़ लेता है तो वह संघर्ष, नफरत और हिंसा में बदल जाता है। इसी तरह, रूस जब शांति का चेहरा ओढ़ता है तो दुनिया के देश फलते-फूलते हैं। जब तानाशाही, विस्तारवाद आ जाता है तो यूक्रेन-रूस युद्ध का जन्म होता है। भारत में भी लोग कभी जाति, धर्म, दल, भाषा के नाम पर हिंसा को उभारते हैं।
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