Banner

MP Chunav 2023 : हीरे उगलने वाली पन्ना की धरती का एक सच ये भी

MP Chunav 2023 : हीरे उगलने वाली पन्ना की धरती का एक सच ये भी, गरीबी-बेरोजगारी के बीच इस आस में किस्मत आजमाते लोग

Bundelkhand news, panna, mp elections, diamonds, bundelkhand 24x7

Panna Vidhan Sabha Seat : एमपी का पन्ना जिला हीरे की चमक और शेर की दहाड़ के लिए दुनियाभर में मशहूर है. पन्ना सागर मंडल का एक जिला है. सियासत के लिहाज से पन्ना की अलग पहचान है. जिले में 3 विधानसभा सीट हैं. पन्ना पर बीजेपी का कब्जा है. चुनाव के पन्ना की ये हकीकत आपको हैरान कर देगी.

Panna, Madhya Pradesh Election 2023: पन्ना की किस्मत में तो हीरे लिखे हैं लेकिन यहां रहने वालों की किस्मत ने बस उम्मीद का दामन थाम रखा है. पन्ना की जमीन भले ही समृद्ध हो लेकिन यहां रहने वाले लोग देश के सबसे गरीब लोगों में से एक हैं. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्यूंकि जब आप पन्ना के उन इलाकों में जायेंगे जहां मिट्टी में से हीरा निकलता है तो वहां कई लोग आपको कुदाल और छन्नी लिए छोटी छोटी खदानों में हीरे तलाशते नजर आ जायेंगे.

किस्मत पलटने के इंतजार में मेहनत करते लोग

ऐसा ही इलाका है रुंझ नदी का. कुछ समय पहले रुंझ नदी के आसपास ही मिट्टी से हीरे निकलने की बात यूं फैली की नदी के किनारे मेला लग गया था. लोग सिर्फ आसपास के इलाकों से नहीं बल्कि दूसरे शहरों से भी हीरे की तलाश में यहां डेरा डालने आए थे. जब हमारी टीम रुंझ नदी के पास सिंहपुर गांव में पहुंची तो मेला नहीं लगा था लेकिन हीरे की तलाश में तेज़ धूप में महिलाएं पुरुष खदानों में काम करते दिखाई दिए. हालांकि ये सरकारी खदान नहीं हैं ये लोग बस रातों रात किस्मत पलटने के इंतज़ार में यहां मेहनत कर रहे हैं.

छोटी खदान, मुश्किल में जान

पहले छोटी छोटी खदान बनाई जाती है, गहरे गड्ढे में उतरकर मिट्टी निकली जाती है. छन्नी वाले तसले में खुदाई में निकली मिट्टी कंकड़ पत्थर डालकर उसे नदी के पानी देर तक छाना जाता है. मिट्टी अलग होने के बाद बाकी बच्चे कंकड़ पत्थर को एक पट्टे पर रखकर बारीकी से उसमें हीरे की तलाश की जाती है. इस प्रक्रिया में काफी मेहनत लगती है और बिना किसी सुरक्षा के मिट्टी के गुबार के बीच काम करने इन लोगों की सेहत के लिए भी हानिकारक है.

केस स्टोरी- 

यहां काम करने वाले अनारीलाल करीब 10 साल से किस्मत आज़मा रहे हैं. उनका कहना है कि कुछ लोगों को हीरा मिलता भी है. रोज़गार की कमी बड़ी वजह है, लोग खाली होते हैं तो यहां चले आते हैं अगर नौकरी लग जाती है तो काम पर चले जाते हैं.

पंचम भी करीब 8-10 साल से आ जाते हैं. वो कहते हैं कि हम किस्मत आजमाने आ जाते हैं. हमारी ज़िन्दगी तो कट गई है लड़के बच्चों की अच्छी कट जाए इनका खर्चा पानी आ जाए. काम रोज़गार की कमी है कोई परमानेंट साधन नहीं है कमाई का.

बसंती ने कुछ दिन पहले ही यहां आना शुरू किया है. वो बताती हैं कि हमारे पास न खेती है न मजदूरी लगती है. जंगल जाकर लकड़ियां बेच आते हैं. क्या पता भगवान चाहें तो कुछ मिल ही जाए. बच्चे तो पालना ही है. सरकार जो औरतों को पैसा देती है वो भी नहीं मिलता.

यह भी पढ़ें:

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ